astrologer,navneet semwal rishikesh (dehradun)
24/02/2024
20/06/2020
21 जून 2020 सूर्य ग्रहण ।।
05/06/2020
आज 05-06-2020 को उप छाया चंद्रग्रहण में बृश्चिक राशि वाले जातक हो जाएं सावधान ।।
07/04/2020
सप्त चिरंजीवी में हनुमानजी सिद्धि देने वाले और अभय प्रदान करने वाले हैं ।।
07/04/2020
According to astrology, corona virus will be reduced from April 25
07/04/2020
According to astrology, corona virus will be reduced from April 25
20/03/2020
हिंदू पंचांग में 2020 वार्षिक फल में ज्योतिष शास्त्र के अनुशार कोरोना जैसे महामारी को 2019 में लिख दिया गया था ज्योतिष शास्त्र प्रमाणित करता है कि ज्योतिष एक ऐसा बिज्ञान है जो बैज्ञानिकों के लिए भी एक बड़ी खोज बना हुआ है ।।
20/02/2020
त्रि' शक्ति ज्योतिष परामर्श केंद्र की तरफ से सभी शिव भक्तो को शिवरात्रि की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामना (जय शिव शंकर ) 🙏🙏
15/01/2020
कृपया जान लीजिये कि संक्रान्ति अब 15 जनवरी को क्यों हो रही है?
वर्ष 2008 से 2080 तक मकर संक्राति 15 जनवरी को होगी।
विगत 72 वर्षों से (1935 से) प्रति वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़ती रही है।
2081 से आगे 72 वर्षों तक अर्थात 2153 तक यह 16 जनवरी को रहेगी।
ज्ञातव्य रहे, कि
सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश (संक्रमण) का दिन मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। इस दिवस से, मिथुन राशि तक में सूर्य के बने रहने पर सूर्य उत्तरायण का तथा कर्क से धनु राशि तक में सूर्य के बने रहने पर इसे दक्षिणायन का माना जाता है।
सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनिट विलम्ब से होता है। स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षो में पूरे 24 घंटे का हो जाता है।
यही कारण है, कि अंग्रेजी तारीखों के मान से, मकर-संक्रांति का पर्व,72 वषों के अंतराल के बाद
एक तारीख आगे बढ़ता रहता है।
विशेष:-यह धारणा पूर्णतः भ्रामक है,कि मकर संक्रांति का पर्व14जनवरी को आता है।
07/01/2020
राधे राधे 🙏🙏
31/12/2019
Know the complete mission of 2020 according to astrology.
Astrologer.pt navneet semwal dehradun 🙏🙏
29/12/2019
🚩श्री गणेशाय नम:🚩
📜 दैनिक पंचांग 📜
☀ 29 - Dec - 2019
☀ Kurukshetra, India
☀ पंचांग
🔅 तिथि तृतीया 12:17:43
🔅 नक्षत्र श्रवण 20:30:12
🔅 करण :
गर 12:17:43
वणिज 25:03:10
🔅 पक्ष शुक्ल
🔅 योग हर्शण 20:15:52
🔅 वार रविवार
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 07:17:26
🔅 चन्द्रोदय 09:43:00
🔅 चन्द्र राशि मकर
🔅 सूर्यास्त 17:31:29
🔅 चन्द्रास्त 20:29:00
🔅 ऋतु शिशिर
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1941 विकारी
🔅 कलि सम्वत 5121
🔅 दिन काल 10:14:03
🔅 विक्रम सम्वत 2076
🔅 मास अमांत पौष
🔅 मास पूर्णिमांत पौष
☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित 12:03:59 - 12:44:56
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त 16:09:37 - 16:50:33
🔅 कंटक 10:42:07 - 11:23:03
🔅 यमघण्ट 13:25:52 - 14:06:48
🔅 राहु काल 16:14:44 - 17:31:30
🔅 कुलिक 16:09:37 - 16:50:33
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 12:03:59 - 12:44:56
🔅 यमगण्ड 12:24:27 - 13:41:13
🔅 गुलिक काल 14:57:59 - 16:14:44
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल पश्चिम
☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशीर्षा, आद्रा, पुष्य, मघा, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरभाद्रपदा
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन
Astrologer pt.navneet semwal .8126367465
[email protected]
25/12/2019
Merry Christmas नहीं तुलसी पूजन की दें बधाई🙏🚩
25/12/2019
कृषमश नहीं 25 दिसंबर तुलसी पूजन की दें बधाई 🚩
24/12/2019
The sapphire stone here is 100% power full.
22/12/2019
🚩🚩🙏🙏रधे राधे 🙏🙏🚩🚩
22/12/2019
((त्रिपुर सुंदरी ज्योतिष केंद्र ))के तरफ से सभी मित्रों से निवेदन है । की जो लोग कुण्डली के विषय में या ज्योतिष संबंधित जानकारी लेना चाहते हैं । description में आधिकारिक मोबाइल नंबर है । वट्सअप या फ़ोन कॉल के जरिये । जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । जिन लोगों को शीघ्र प्रतिक्रिया नहीं मिल पारी है ।कृपया परेशान न होयें अत्यधिक पत्रिका होने के कारण आपको समूर्ण जानकारी देने में सक्षम रहेंगे ।।सभी का दिन सुभ हो ।।astrologist pt navneet semwal .8126367465
21/12/2019
सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले 25 दिसंबर को शाम 8 बजकर 13 मिनट से शुरू हो जायेगा जिसकी समाप्ति 26 दिसंबर को सुबह 13 बजकर 37 मिनट पर होगी।
: जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण की घटना अमावस्या के दिन ही घटित होती है। साल के आखिरी महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने की 26 तारीख को सूर्य ग्रहण लगेगा। जिसका नजारा भारत में भी देखा जा सकेगा। हर साल लगभग 5 से 7 सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण की घटना अमावस्या के दिन ही घटित होती है। इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य आग से भरी अंगूठी के आकार का दिखाई देगा। इसे वैज्ञानिकों की भाषा में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण और सूतक काल समय
सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले 25 दिसंबर को शाम 8 बजकर 13 मिनट से शुरू हो जायेगा जिसकी समाप्ति 26 दिसंबर को दोपहर 13 बजकर 37 मिनट पर होगी। सूतक काल में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। बताया जा रहा है कि यह आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 8.13 मिनट से शुरू हो जायेगा और इसकी समाप्ति 13:37 PM पर होगी। ग्रहण की अवधि 05 घण्टे 24 मिनट्स 06 सेकण्ड्स की होगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह ग्रहण सूर्य पौष माह की अमावस्या के दिन मूल नक्षत्र और धनु राशि में लगेगा।
मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में किया गया दान वह जप कोटी गुणा फल प्रदान करता है ग्रहण काल में अपनी श्रद्धा के अनुसार दान व जप करके पुण्य अर्जित किया जा सकता है जिसके द्वारा हम अपने प्रारब्ध को बढ़ाकर हमारे पापों को कम कर सकते हैं, इस समय में गर्भवती स्त्रियों के लिए विशेष नियम पालन करना आवश्यक है जैसे खाना, सोना विशेष रुप से निषिद्ध है अन्य भी साधारण जन को ग्रहण के समय में शयन करना खानपान करना निषिद्ध माना जाता है
राशियों पर ग्रहण का प्रभाव -
1. मेष : चिंता, संतान को कष्ट।
2. वृष : शत्रुभय, साधारण लाभ।
3. मिथुन : स्त्री व पति को कष्ट।
4. कर्क : रोग की चिंता।
5. सिंह : खर्च अधिक, कार्य में देरी।
6. कन्या: कार्य सिद्धि, सफलता।
7. तुला : आर्थिक विकास, धन लाभ।
8. वृश्चिक : कार्य में अवरोध, धन हानि।
9. धनु : दुर्घटना, चोट की चिंता।
10. मकर : धन का अपव्यय, कार्य में बाधा।
11. कुम्भ : लाभ, उन्नति के अवसर।
12. मीन : रोग, कष्ट, भय की प्राप्ति।
*ग्रहण का वैज्ञानिक कारण*
ग्रहण के समय सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती जिसके कारण सूर्य के प्रभाव के अभाव में पृथ्वी पर हमारे लिए हानिकारक कीटाणुओं की वृद्धि होने लगती है जिससे खाने पीने की वस्तुएं दूषित हो जाती हैं इसीलिए खाने पीने की वस्तुओं में डॉब(कुशा) रखने का विधान है, ऐसा करने से एंटीबैक्टीरियल तत्व होने के कारण कुशा को विशेष महत्व दिया गया है यह हमारे प्राचीन ऋषियों की रिसर्च का नतीजा है।
{{त्रिपुर सुंदरी ज्योतिष केंद्र astrologist.}}
21/12/2019
(त्रिपुरसुंदरी ज्योतिष केंद्र देहरादून&ऋषिकेश )जानें फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं।
ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है।
15/12/2019
सावधान, खरमास में न करें ये काम जाने सनातन धर्म के अनुसार खरमास कब से कब तक चलेगा क्यों इस महीने में पूजा पाठ वर्जित माना जाता है हिंदू पंचांग के मुताबिक सजग होकर एक महीने का वक्त ऐसा होता है जब मांगलिक कार्यों को पूरी तरह से रोक दिया जाता है। जाता है। इस अवधि को खरमास कहा जाता है। इस वर्ष खरमास 16 दिसंबर से आरंभ हो रहा है और यह मकर संक्राति अर्थात 14 जनवरी, 2020 तक रहेगा। विशेष जानकारी प्राप्त करने के लिए आप संपर्क करें ।। त्रिपुर सुन्दरी ज्योतिष परामर्श केंद्र देहरादून$ऋषिकेश 8126367465 astrologer pt navneet semwal .
11/12/2019
ज्योतिष के अनुसार ही कार्य करना वैदिक काल में अनिवार्य था जिसके फलस्वरूप सभी सुखी थे बिना भौतिक जीवन के बावजूद भी ।।
10/12/2019
ज्योतिष में ग्रह विचार
ग्रह धातु से अच् प्रत्यय के योग से निष्पन्न ग्रह शब्द की व्युत्पत्ति दो प्रकार से की जा सकती है। गृह्णाति गति विशेषान् इति। अथवा गृह्णाति फलदातृत्वेन जीवान् इति। अर्थात् जो जीवों को अर्थात् प्राणी समूह को उनके कर्मानुसार फल प्रदान करते हैं वे ग्रह हैं। इस व्याख्या के अनुसार सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु ये नौ संख्या वाले ग्रह हैं। जैसा कि कहा भी गया है —
सूर्यश्चन्द्रो मङ्गलश्च बुधश्चापि बृहस्पति:।
शुक्र: शनैश्चरो राहु: केतुश्चेति नवग्रहा:।।
गृह्णाति गति विशेषान् व्युत्पत्ति से पांच ग्रह मंगल, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि ही ग्रह कहे जा सकते हैं। क्योंकि र्तािकक दृष्टि से सूर्य एवं चन्द्रमा ग्रह लक्षण के अन्तर्गत नहीं आते हैं तथा राहु एवं केतु तमोग्रह (छाया ग्रह) अथवा पात विशेष हैं। पृथ्वी का गमन पथ एवं चन्द्रमा के गमनमार्ग जहाँ आपस में एक दूसरे को काटते हैं वही दोनों बिन्दु राहु केतु के नाम से जाने जाते हैं। वैदिक काल में पांच ग्रह ही माने जाते थे। ये पांचों ग्रह मंगल, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि ही थे। ऋग्वेद के एक मन्त्र में उल्लेख मिलता है —
अमी ये पंचोक्षणो मध्ये तस्थुर्महो दिव:।
देवत्रा नु प्रावच्यं सध्री चीनानि वावृदुवित्तं मे अस्य रोदिसी।। (ऋग्वेद १।१०५।१०)
``अर्थात् ये जो महाप्रबल पांच विस्तीर्ण द्युलोक के मध्य रहते हैं उनका स्तोत्र बना रहा हूँ। एक साथ आने वाले होते हुए भी वे सब दिन में चले गये हैं।'' इस मन्त्र में इन्हीं पांच ग्रहों का उल्लेख है। किन्तु स्मृतिकाल, जो वैदिक काल के ठीक पश्चात् है, में स्पष्ट रूप से नौ ग्रहों का उल्लेख होने लगा था। याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार —
सूर्य: सोमो महीपुत्र: सोमपुत्रो बृहस्पति:।
शुक्र: शनैश्चरो राहु: केतुश्चेति ग्रहा: स्मृता:।।
(याज्ञवल्क्य स्मृति, आचाराध्याय, २९६)
इस प्रकार भारतीय ग्रन्थों में ग्रहों का वर्णन अत्यन्त प्राचीन है।
भगवान के असंख्य अवतार हुए हैं जिसमें ग्रह रूप जनार्दन नामक भी एक अवतार है। अर्थात् ग्रह भी भगवत् रूप हैं।
अवताराण्यनेकानि अजस्य परमात्मन:।
जीवानां कर्मफलदो ग्रहरूपी जनार्दन:।। (लोमशसंहिता ५।४१)
यह श्लोक बृहत्पाराशर होराशास्त्र २।३ में भी आया है।
मर्हिष पराशर तथा लोमश ऋषि का कथन है कि भगवान नारायण का अवतार ग्रहों द्वारा हुआ है यथा - सूर्य से राम का, चन्द्रमा से कृष्ण का, मंगल से नृिंसह का, बुध से बुध का, गुरु से वामन का, शुक्र से परशुराम का, शनि से कच्छप का, राहु से वराह का तथा केतु से मीन का अवतार हुआ है। इनके अतिरिक्त भी अवतार ग्रहों से हुए हैं जिनमें परमात्मा का अंश अधिक है वे खेचर कहलाते हैं। यथा—
रामावतार: सूर्यस्य चन्द्रस्य यदुनायक:।
नृिंसहो भूमिपुत्रस्य बुद्ध: सोमसुतस्य च।।
वामनो बिबुधेज्यस्य भार्गवो भार्गवस्य च।
वूâर्मो भास्करपुत्रस्य सैंहिकेयस्य शूकर:।।
केतोर्मीनावतारश्च ये चान्ये तेऽपि खेटजा:।
परमात्मांशमधिकं येषु ते खेचराभिधा:।।
(बृहत्पाराशर होराशास्त्रम् २।५,६,७)
भारतीय शास्त्रों में कुछ ग्रहों को फल कत्र्तृत्व वाला अर्थात् शुभाशुभ फल करने वाला मानते हैं तो अन्य को पूर्र्वािजत कर्मफलों के सूचक मात्र मानते हैं। महाभारत में भी
05/11/2019
आधिकारिक कुंडली मिलान हेतु ।।
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