22/09/2023
सेवा में ,
समस्त धार्मिक आयोजन करने वाली संस्थाओं से ,एक बात इन दिनो देख रहा हूं की की किसी कलाकार को आप बुलाते है सम्मान देना अच्छी बात है मगर उसमे भी मर्यादा का खयाल अवश्य रखे अभी कौशीकी अमावस्या गई जिसमे कई जगह देखा गया की मंगल पाठ वाचिका वाचक या प्रवाहक के आगमन पर चुनरी को चारो तरफ से पकड़ के उसके बीच में कलाकार को ले के उनपे पुष्प वर्षा करते ढोल बजाते हुए निश्चित स्थान तक ले जाते है चारो ओर बाउंसर लगा दिए जाते है मानो कलाकार नही भगवान है
जरा एक बार अच्छी तरह से सोचिए क्या ये उचित है
कीर्तन या धार्मिक आयोजन को आपने कार्यक्रम यानी इवेंट तो बना ही दिया है परंतु किसी तुच्छ मनुष्य का इतना भी सम्मान उचित नहीं की वो ही प्रधान आकर्षण हो जाय
यही व्यवस्था ठाकुर जी के आगमन पे करते है क्या
मान लो ये व्यवस्था आपने की भी तो गिनती के कुछ सदस्य ही रहते है जबकि प्रवाहको के आगमन पे लगभग सभी सदस्य उपस्थित रहते है
ये क्या उचित है अगर आपका मन कहे की हां तो ऐसे कार्यक्रम जारी रखिए अगर ना तो इस तरह कलाकारों की एंट्री बंद करे बाकी आप समझदार है
*ये मेरे व्यक्तिगत विचार है किसी पे कोई दोषारोपण नही
Ravi Sharma 'sooraj' भईया आपने बिलकुल सही लिखा है