Sunder Bani

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09/12/2023

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Jai sanatan

सन 1895 का एक नमी भरा दिन.... स्थान..भारत में मुंबई का जुहू समुद्र-तट..हज़ारों लोगों की भीड़ के साथ मुंबई हाईकोर्ट के तत्क...
09/12/2023

सन 1895 का एक नमी भरा दिन.... स्थान..भारत में मुंबई का जुहू समुद्र-तट..

हज़ारों लोगों की भीड़ के साथ मुंबई हाईकोर्ट के तत्कालीन जज महादेव गोविन्द रानाडे और महाराजा वड़ोदरा सेयाजी राव गायकवाड़ जैसे गणमान्य व्यक्ति वहां जे.के. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स के एक अध्यापक शिवकर बापूजी तलपड़े के बुलावे पर उपस्थित थे !

सामने के खुले मैदान में एक अजीब सी मशीन.. जिसे इससे पहले किसी ने देखा न सुना.. भीड़ की नज़रों के सामने खड़ी थी.. और इस बड़ी सी मशीन के विषय में तलपड़े जी का दावा था कि वो उसे हवा में उड़ा सकते हैं.. ! विश्वास..कौतूहल.. अविश्वास के मिले-जुले भावों में डूबी हज़ारों जोड़ी आँखें उस मशीन को आश्चर्य भरी दृष्टि से ताक रही थी.. !
तलपड़े जी आत्मविश्वास से भरपूर अपने हाथों में एक छोटा सा चपटा यन्त्र थामे खड़े थे.. अचानक उनकी उँगलियों ने उस चपटे से यंत्र पर कुछ हरक़त की.. और .. यह क्या.. ?

उपस्थित जन-समुदाय की आँखें उस समय फटी सी रह गईं जब घरघराहट की सी आवाज़ निकालते हुए वो बड़ी सी मशीन धीरे-धीरे जमीन छोड़ने लगी.. लोगों ने बार-बार देखा.. आँखें मल-मल कर देखा..झुक-झुक कर देखा.. किन्तु वो मशीन सच में अब धरती के सम्पर्क में नहीं रह गयी थी.. एक-एक पल बीत रहा था और देखते ही देखते वो मशीन ज़मीन से कोई 1500 फुट की ऊंचाई पर चक्कर काटने लगी.. लोग अपनी आँखों के ऊपर हथेली रख सन्नाटे में डूबे वजनी लोहे के उस संजाल को हवा में नाचते देख रहे थे.. थोड़ी ही देर पश्चात तलपड़े जी के बाएँ हाथ में थमे चपटे छोटे यंत्र पर नाचती उँगलियों के आदेश को मान वो मशीन एक गर्ज़ना के साथ ज़मीन पर सकुशल वापस आ कर टिक गई.. कहीं कोई आवाज़ नहीं.. इतने में इस सन्नाटे को तोड़ते हुए तालियों का शब्द वहाँ गूँज उठा.. महाराजा वड़ोदरा सम्मोहन की सी अवस्था में बेतरह ताली बजा रहे थे.. फिर क्या था.. जनता की तालियों की गड़गड़ाहट उस भारी मशीन की गर्ज़ना के शब्द से होड़ करने लगी.. !

उसके पश्चात कुछ रहस्यमयी घटनाओं का एक सिलसिला.. इंग्लैंड की रैली ब्रदर्स नाम के एक कंपनी का भोले-भाले वैज्ञानिक तलपडे जी से संपर्क..उनकी संदेहजनक मृत्यु.. डिज़ाइन का लन्दन .. फिर वहाँ से अमरीका के राईट बंधुओं के हाथ लगना.. और महर्षी भारद्वाज द्वारा रचित 8 अध्याय.. 100 खण्ड.. 500 सिद्धांत.. तीन हज़ार श्लोक.. 32 तरीके से 500 तरह के विमान बनाना सिखाने वाले विमान शास्त्र के मानस-शिष्य शिवकर जी तलपड़े की अदम्य साधना के फल को दुनिया आज मक्कार अमरीकी "राईट बंधुओं की एक महान देन" के रूप में जानती है.., इस घटना के आठ वर्ष पश्चात 1903 में जिनका बनाया लोहे का कबाड़ मात्र डेढ़ सौ फुट हवा में उछल वापस ज़मीन से टकरा कर नष्ट हो गया था.. !

क्या ये पर्याप्त कारण नहीं कि हम अपनी मिटटी पर गर्व करें.. ?

जय भारत !

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोचक जानकारी :-लक्षण:-इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर के आधे भाग में तेज दर्द होता है तथा सिर म...
24/11/2023

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोचक जानकारी :-

लक्षण:-

इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर के आधे भाग में तेज दर्द होता है तथा सिर में दर्द होने के साथ-साथ रोगी को उल्टी होने की इच्छा भी होती है। इसके अलावा रोगी को चिड़चडाहट तथा दृष्टिदोष भी उत्पन्न होने लगता है। इस रोग का प्रभाव अधिकतर निश्चित समय पर होता है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का कारण-

1. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग रोगी व्यक्ति को दूसरे रोगों के फलस्वरूप हो जाता है जैसे- नजला, जुकाम, शरीर के अन्य अंग रोग ग्रस्त होना, पुरानी कब्ज आदि।

2. स्त्रियों को यदि मासिकधर्म में कोई गड़बड़ी हो जाती है तो इसके कारण स्त्रियों को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

3. आंखों में दृष्टिदोष तथा अन्य रोग होने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

4. यकृत (जिगर) में किसी प्रकार की खराबी तथा शरीर में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण व्यक्ति को
माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

5. असंतुलित भोजन का अधिक उपयोग करने के कारण रोगी को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो सकता है।

6. अधिक श्रम-विश्राम करने, शारीरिक तथा मानसिक तनाव अधिक हो जाने के कारण भी यह रोग व्यक्तियों को हो सकता है।

7. औषधियों का अधिक उपयोग करने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

माइग्रेन रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

1. इस रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को रसाहार (चुकन्दर, ककड़ी, पत्तागोभी, गाजर का रस तथा नारियल पानी) आदि का सेवन भोजन में करना चाहिए और इसके साथ-साथ उपवास रखना चाहिए।

माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में फल, सलाद तथा अंकुरित भोजन करना चाहिए और इसके बाद सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।
3. रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में मेथी, बथुआ, अंजीर, आंवला, नींबू, अनार, अमरूद, सेब, संतरा तथा धनिया अधिक लेना चाहिए। माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को भोजन संबन्धित गलत आदतों जैसे- रात के समय में देर से भोजन करना तथा समय पर भोजन न करना आदि को छोड़ देना चाहिए।

4. रोगी व्यक्ति को मसालेदार भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके अलावा बासी, डिब्बाबंद तथा मिठाइयों आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

5. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग में रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह के समय में चाटना चाहिए तथा इसके अलावा दूब का रस भी सुबह के समय में चाट सकते हैं। जिसके फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

6. माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) का इलाज करने के लिए पीपल के कोमल पत्तों का रस रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम सेवन करने के लिए देने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

7. माइग्रेन रोग का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति के माथे पर पत्ता गोभी का पत्ता प्रतिदिन बांधना चाहिए, जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो
जाता है।

8. प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा नाक से भाप देकर रोगी व्यक्ति के माइग्रेन रोग को ठीक किया जा सकता है। नाक से भाप लेने के लिए सबसे पहल एक छोटे से बर्तन में गर्म पानी लेना चाहिए। इसके बाद रोगी को उस बर्तन पर झुककर नाक से भाप लेना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक करने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

9. माइग्रेन रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकर के स्नान भी हैं जिन्हे प्रतिदिन करने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है। ये स्नान इस प्रकार हैं-रीढ़स्नान, कुंजल, मेहनस्नान तथा गर्मपाद स्नान।

10. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग का इलाज करने के लिए प्रतिदिन ध्यान, शवासन, योगनिद्रा, प्राणायाम या फिर योगासन क्रिया करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

10/11/2023

Watch Bharat History 1AD - 1913AD and share it

10/11/2023

भारत का अपना खुद का मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम

10/11/2023

इजरायली हमलों के चलते गाजा में फिलिस्तीनी अपने घरों से भाग रहे हैं और कह रहे है "खालिद मशाल और इस्माइल हानियेह इन हमास के नेताओं ने गाजा को नष्ट कर दिया। वे सबसे बड़े गद्दार हैं”

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10/11/2023

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10/11/2023

जो रोहिंग्या आपके आस पास थे वो आपकी लड़कियों को उठा कर विदेशों में बेच रहे छोटे लड़कों की किडनी विदेशों में पहुँचा रहे सावधान हो जाइए । जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं द्वारा मानव तस्करी पर एनआईए की कार्रवाई
-44 गुर्गों को पकड़ा गया; 20 लाख रुपये नकद, अमेरिकी डॉलर जब्त

- अवैध रोहिंग्याओं को बसाने वाले मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़। म्यांमार से लाई गई महिलाओं की शादी कम उम्र के स्थानीय पुरुषों से की जाती थी और पुरुषों को मजदूर के रूप में नियुक्त किया जाता था।

10/11/2023

60000 गरीब बच्चों का अपहरण,खतना करके बना दिया मुस्लमान और MS मीडिया में कोई चर्चा नहीं हुई

06/11/2023

7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकियों ने इजराइल में जो विभत्स कांड किया था, उसका हजारों गुना बड़ा कांड भारत के मालाबार में तब हुआ जब तुर्की के खलीफा के लिए आंदोलन किया गया।
अगस्त 1946 में जिन्ना के आवाहन पर कोलकाता में हुआ था।
10अक्टूबर 1946 को नोवाखली में एक दरगाह के पीर गुलाम सरवर 20000 मुस्लिमों को संबोधित करते हुए कहा था कि एक भी हिंदू जिंदा न बचे, एक भी हिंदू महिला इज्जत बचा कर न जाने पाए।
एक रोंगटे खड़े कर देने वाला वीडियो।

विवाह के लिए 36 गुण का महत्व...विवाह के बाद वर और वधु एक दूसरे के अनुकूल रहें, संतान सुख, धन दौलत में वृद्धि, दीर्घ आयु ...
16/10/2023

विवाह के लिए 36 गुण का महत्व...

विवाह के बाद वर और वधु एक दूसरे के अनुकूल रहें, संतान सुख, धन दौलत में वृद्धि, दीर्घ आयु हो, इस वजह से ही दोनों पक्ष के 36 गुणों का मिलान किया जाता है, मुहूर्तचिंतामणि ग्रंथ में अष्टकूट में वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी को शामिल किया गया है..ये अष्टकूट है, वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रहमैत्री,गण, राशि, नाड़ी। गुण मिलान के साथ यदि इन अष्टकूट का मिलान सही ढंग से नहीं होता है तो विवाह में जीवन भर बाधा आती है। विवाह के लिए वर-वधू की जन्म-कुंडली मिलान करते नक्षत्र मेलापक के अष्टकूटों में नाड़ी को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। विवाह के पूर्व वर-वधू की कुंडली का मिलान कैसे करें और क्या सावधानी रखें ताकि विवाह सुचारू रूप से संपन्न हो कर जीवन भर एक दूसरे का साथ सुख-समृद्धि के कायम रहे।

• अष्टकूट मिलान में 36 अंकों का वितरण

वर्ण : 1
वश्य : 2
तारा : 3
योनि : 4
मैत्री : 5
गण : 6
भकूट : 7
नाड़ी : 8

1. नाड़ी दोष -

हर नक्षत्र के अनुसार बालक-बालिका की नाड़ी अलग होती है। इससे वर-कन्या की सेहत और संतान उत्पत्ति की स्थिति देखी जाती है। अगर वर और कन्या की नाड़ी एक हो तो सेहत की समस्या और संतान की समस्या होती है। एक नाड़ी होने पर तभी विवाह कर सकते है, जब नक्षत्र एक हो और उनके चरण अलग-अलग हो। या वर और कन्या दोनों का बृहस्पति अच्छी स्तिथि में हो। कुंडली मिलान के समय इस महत्वपूर्ण तथ्य को हमेशा ध्यान में रखें और जिस पंडित से कुंडली मिलवा रहे हैं उससे जरूर प्रश्न करें की दोनों की नाड़ी एक तो नहीं है ?

2. मंगल दोष -

कुंडली में मंगल की विशेष स्थानों पर होने से मंगल दोष पैदा होता है। कुंडली मैं प्रथम, चतुर्थ, 1, 4, 6, 7 वे, 8वे और 12वे स्थान में मंगल हो तो, व्यक्ति मांगलिक होता है, और यह एक महत्वपूर्ण दोष होता है। अगर एक की कुंडली में मंगल दोष हो तो दूसरी कुंडली मैं उसका निवारण जरूर होना चाहिए। कभी-कभी मंगल दोष
इतना खतरनाक होता है कि दोनों व्यक्तियों में तालमेल काफी ख़राब हो जाता है। मंगल दोष की शांति के लिए सबसे उत्तम होता है, हनुमान जी, और कुमार कार्तिकेय कि, पूजा करना। इसके अतिरिक्त और भी बहुत सारे उपाय हैं, इसके द्वारा मंगल शांत हो जाता है !

3.भकूट -

राशियों का आपसी संबंध और वर-कन्या के स्वभाव का मिलान करना भकूट कहलाता है। भकूट दोष होने पर तालमेल मैं काफी समस्या आती है। राशियां अगर एक दूसरे से द्विद्वासः,पसदास्थाक या नवपंचक हो तो भकूट दोष बन जाता है। अगर वर-कन्या की राशियों में मित्रता हो या दोनों के स्वामी एक हो तो ये दोष भंग हो जाता है।

4. गण दोष -

अलग-अलग नक्षत्रो के अलग-अलग गण होते है। कुल मिलाकर तीन गण होते है – मानव, देव और राक्षस। अगर गण में तालमेल न हो तो संबंध शत्रुता में बदल जाता है। राक्षस और मानव गण का विवाह सबसे ज्यादा अनुचित होता है। इसके परिणाम स्वरुप संबंध बहुत ख़राब हो जाते है।अगर वर-कन्या की राशियों में उत्तम मित्रता हो तो गण दोष भंग हो जाता है।
5. ग्रह मैत्री-

कुंडली मिलान में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पक्ष है ग्रह मैत्री। वर और कन्या के ग्रहो में पर्याप्त मित्रता होनी चाहिए, नहीं तो वैवाहिक जीवन में मुश्किलों का अंत नहीं होता। दोनों के बीच आपस में विचार नहीं मिलते हैं। अगर ग्रहो में पर्याप्त मित्रता है तो गण दोष, भकूट दोष और बाकि दोषों का प्रभाव नहीं पड़ता। अच्छी ग्रह मैत्री होने पर विवाह उत्तम होता है और तालमेल श्रेष्ठ होता है।

6. वर्ण

वर्ण का अर्थ होता है स्वभाव और रंग। वर्ण 4 होते हैं- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
लड़के या लड़की की जाति कुछ भी हो, लेकिन उनका स्वभाव और रंग उक्त 4 में से 1 होगा। मिलान में इस मानसिक और शारीरिक मेल का बहुत महत्व है। यहां रंग का इतना महत्व नहीं है जितना कि, स्वभाव का है।

7. वश्य -

वश्य का संबंध भी मूल व्यक्तित्व से है। वश्य 5 प्रकार के होते हैं- चतुष्पाद, कीट, वनचर, द्विपाद और जलचर। जिस प्रकार कोई वनचर जल में नहीं रह सकता, उसी प्रकार कोई जलचर जंतु कैसे वन में रह सकता है?
8. तारा-

तारा का संबंध दोनों के भाग्य से है। जन्म नक्षत्र से लेकर 27 नक्षत्रों को 9 भागों में बांटकर 9 तारा बनाई गई है- जन्म, संपत, विपत, क्षेम, प्रत्यरि, वध, साधक, मित्र और अमित्र। वर के नक्षत्र से वधू और वधू के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक तारा गिनने पर विपत, प्रत्यरि और वध नहीं होना चाहिए, शेष तारे ठीक होते हैं।

9. योनि -

योनि का संबंध संभोग से होता है जिस तरह कोई जलचर का संबंध वनचर से नहीं हो सकता उसी तरह से ही संबंधों की जांच की जाती है विभिन्न जीव-जंतुओं के आधार पर 13 योनियां नियुक्त की गई हैं- अश्व, गज, मेष, सर्प, श्‍वान, मार्जार, मूषक,महिष, व्याघ्र, मृग, वानर, नकुल और सिंह हर नक्षत्र को एक योनि दी गई है। इसी के अनुसार व्यक्ति का मानसिक स्तर बनता है। विवाह में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण योनि के कारण ही तो होता है। शरीर संतुष्टि के लिए योनि मिलान भी आवश्यक होता है...कुल 36 गुणों में से 18 से 21 गुण मिलने पर मिलान मध्यम माना जाता है, इससे अधिक गुण मिलने पर उसे th Send gift मिलान कहते हैं, किसी भी वर और वधु का गुण मिलना अत्यंत ही दुर्लभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम और माता गीता ही के ही 36 गुण मिले थे...

जय सियाराम चन्द्र की, जय सनातन धर्म

ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर...
16/10/2023

ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?

रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है। ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।

“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।

अर्थात - ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।
सिख धर्म में इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है--"अमृत वेला", जिसके द्वारा इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईवर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और
दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।

✴️पौराणिक महत्व

वाल्मीकि रामायण के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्रीहनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद व यज्ञ के ज्ञाताओं के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनी।
शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है--

वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥

अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।

✴️ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति

ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें
संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।

✴️इसलिए मिलती है सफलता व समृद्धि

आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।

✴️ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।

ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है, क्यों? क्योंकि जल्दी उठने से दिनभर के कार्यों और योजनाओं को बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए न केवल जीवन सफल होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने वाला हर व्यक्ति सुखी और समृद्ध हो सकता है। कारण वह जो काम करता है उसमें उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी
परीक्षा में सफल रहता है। जॉब (नौकरी) करने वाले से बॉस खुश रहता है। बिजनेसमैन अच्छी कमाई कर सकता है। बीमार आदमी की आय तो प्रभावित होती ही है, उल्टे खर्च बढऩे लगता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो समय का सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे। अत: स्वस्थ और सफल रहना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।

प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥ - ऋग्वेद-1/125/1

अर्थात- सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।

यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा।
सुवाति सविता भग:॥ - सामवेद-35

अर्थात- व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।
अथर्ववेद- 7/16/2

अर्थात- सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है।

✴️व्यावहारिक महत्व

व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।

🕉️ जैविक घड़ी 🕉️
पर आधारित शरीर की दिनचर्या

✴️प्रातः 3 से 5 – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से फेफड़ों में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना। इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही
होते है, और सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है।

✴️प्रातः 5 से 7 – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए। सुबह 7 के बाद जो मल-त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।

✴️प्रातः 7 से 9 – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपर्युक्त है। इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पिये।

✴️प्रातः 11 से 1 – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है।
दोपहर 12 बजे के आस–पास मध्याह्न – संध्या (आराम) करने की हमारी संस्कृति में विधान है। इसी लिए भोजन वर्जित है। इस समय तरल पदार्थ ले सकते है। जैसे मट्ठा पी सकते है। दही खा सकते है।

✴️दोपहर 1 से 3 -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से
मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए। इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है।

✴️दोपहर 3 से 5 -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है। 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।

✴️शाम 5 से 7 -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है। इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए। शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है। देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।

✴️रात्री 7 से 9 -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है। इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है। अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है। आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।

✴️रात्री 9 से 11 -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष
रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है। इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है। यदि इस समय भोजन किया जाय तो वह सुबह तक जठर में पड़ा रहता है, पचता नहीं और उसके सड़ने से हानिकारक द्रव्य पैदा होते हैं जो अम्ल (एसिड) के साथ आँतों में जाने से रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इस समय भोजन करना खतरनाक है।

✴️रात्री 11 से 1 -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है। इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है। इस समय नई कोशिकाएं बनती है।

✴️रात्री 1 से 3 -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है। अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है। इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।

👉नोट :-ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः प्रातः एवं शाम के
भोजन की मात्रा ऐसी रखे, जिससे ऊपर बताए भोजन के समय में खुलकर भूख लगे। जमीन पर कुछ बिछाकर सुखासन में बैठकर ही भोजन करें। इस आसन में मूलाधार चक्र सक्रिय होने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। कुर्सी पर बैठकर भोजन करने में पाचनशक्ति कमजोर तथा खड़े होकर भोजन करने से तो बिल्कुल नहींवत् हो जाती है। इसलिए ʹबुफे डिनरʹ से बचना चाहिए।

👉पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का लाभ लेने हेतु सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में करके ही सोयें, अन्यथा अनिद्रा जैसी तकलीफें होती हैं।

👉शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें। इस संदर्भ में हुए शोध चौंकाने वाले हैं। देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और बत्ती चालू रख के सोने से जैविक घड़ी निष्क्रिय होकर भयंकर स्वास्थ्य-संबंधी हानियाँ होती हैं। अँधेरे में सोने से यह जैविक घड़ी ठीक ढंग से चलती है।

👉आजकल पाये जाने वाले अधिकांश रोगों का कारण अस्त-व्यस्त दिनचर्या व विपरीत आहार ही है। हम अपनी दिनचर्या शरीर की जैविक घड़ी के अनुरूप बनाये रखें तो शरीर के विभिन्न अंगों की सक्रियता का हमें अनायास ही लाभ मिलेगा। इस प्रकार थोड़ी-सी सजगता हमें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति करा देगी।

16/10/2023

कतर के अमीर - "भारतीय मुसलमानों को अरब मुद्दों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए.....

हमें परिवर्तित मुसलमानों से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है (अरब दुनिया पर गाजा के लिए बहुत कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हुए)....

यदि वे गाजा के लोगों के बारे में इतने चिंतित हैं, तो उन्हें अपनी उड़ानें बुक करनी चाहिए और गाजा के लोगों को बचाना चाहिए।

जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में हिन्दुओं और सिखों को इलाका छोड़ने की धमकी दी गई है। हिन्दुओं और सिखों के घरों पर उर्दू में ...
15/10/2023

जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में हिन्दुओं और सिखों को इलाका छोड़ने की धमकी दी गई है। हिन्दुओं और सिखों के घरों पर उर्दू में लिखे पोस्टर लगा कर यह धमकी दी गई है और कहा गया है कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

यह पूरा मामला जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के देगवार मल्दियालाँ गाँव का है, जहाँ 14 अक्टूबर 2023 की शाम को इलाके में अल्पसंख्यक हिन्दू और सिख परिवारों के घरों पर तीन पोस्टर चिपके हुए पाए गए।

धमकी भरे इन पोस्टर में उर्दू में लिखा हुआ था, “सभी हिन्दू और सिख इस इलाके को जल्द से जल्द छोड़ दें। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।” यह पोस्टर इलाके के कुछ घरों के दरवाजों पर लगाए गए जबकि कुछ के आँगन में फेंके गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वकील महिंदर पियासा के घर के दरवाजे से एक पोस्टर बरामद किया गया जबकि दो अन्य निवासियों सुजान सिंह और किशोर कुमार के घर के आँगन से यह पोस्टर बरामद किए गए हैं।
इस मामले की जानकारी होने पर पुंछ के एसएसपी दीपक पठानिया ने देगवार गाँव जाकर यह पोस्टर गाँव के सरपंच परविंदर सिंह की मौजूदगी में जब्त करवाए हैं। घरों पर धमकी भरे पोस्टर लगाए जाने के कारण हिन्दू और सिख परिवार अब अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

14/10/2023

The people who saying that land of palestine is palestinain they must went through the history.
Listen the Israel PM to know the orginal habitat of palestine land

14/10/2023

Swag of Jammu, celebrating Bharat's victory against pakistan in ICC world Cup 2023 in Narendra Modi Stadium

एक और षड्यंत्र का पर्दाफाश...हजारों साल से शूद्र दलित मंदिरों में पूजा करते आ रहे थे, पर अचानक 19वी० शताब्दी में ऐसा क्य...
30/09/2023

एक और षड्यंत्र का पर्दाफाश...

हजारों साल से शूद्र दलित मंदिरों में पूजा करते आ रहे थे, पर अचानक 19वी० शताब्दी में ऐसा क्या हुआ कि, दलितों को मंदिरों में प्रवेश नकार दिया गया?

१. क्या इसका सही कारण आपको मालूम है?
२. या सिर्फ ब्राह्मणों को गाली देकर मन को झूठी तसल्ली दे देते हो?

अछूतों को मन्दिर में न घुसने देने की सच्चाई क्या है...? यह काम पुजारी करते थे कि, मक्कार अंग्रेजो के द्वारा किया गया लूटपाट का षड्यंत्र था?

1932 में लोथियन कॉमेटी की रिपोर्ट सौंपते समय डॉ. आंबेडकर नें अछूतों को मन्दिर में न घुसने देने का जो उद्धरण पेश किया है वो वही लिस्ट है जो अंग्रेजो ने भारत में कंगाल यानि गरीब लोगों की लिस्ट बनाई थी जो लोग मन्दिर में घुसने (Entry fee) देने के लिए अंग्रेजों के द्वारा लगाये गए टैक्स को देने में असमर्थ थे!

षड़यंत्र: 1808 ई० में ईस्ट इंडिया कंपनी पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर को अपने कब्जे में लेती है और फिर लोगो से कर वसूला जाता है, तीर्थ यात्रा के नाम पर
कर!

हिन्दुओं के चार ग्रुप बनाए जाते हैं! इसमें से चौथा ग्रुप जो कंगाल है, उनकी एक लिस्ट जारी की जाती है!

1932 ई० में जब डॉ आंबेडकर अछूतों के बारे में लिखते हैं तो, वे ईस्ट इंडिया के जगन्नाथ पुरी मंदिर के दस्तावेज की लिस्ट को अछूत बनाकर लिखते हैं!

भगवान जगन्नाथ के मंदिर की यात्रा को यात्रा कर में बदलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को बेहद मुनाफ़ा हुआ और यह 1809 से 1840 तक निरंतर चला। जिससे अरबो रूपये सीधे अंग्रेजो के खजाने में बने और इंग्लैंड पहुंचे। श्रद्धालु यात्रियों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जाता था!

प्रथम श्रेणी: लाल जतरी (उत्तर के धनी यात्री)
द्वितीय श्रेणी: निम्न लाल (दक्षिण के धनी यात्री)
तृतीय श्रेणी: भुरंग (यात्री जो दो रुपया दे सके)
चतुर्थ श्रेणी: पुंज तीर्थ (कंगाल की श्रेणी जिनके पास दो रूपये भी नही मिलते थे, उनकी तलाशी लेने के बाद)

चतुर्थ श्रेणी के नाम इस प्रकार हैं!
01. लोली या कुस्बी!
02. कुलाल या सोनारी!
03. मछुवा!
04. नामसुंदर या चंडाल
05. घोस्की
06. गजुर
07. बागड़ी
08. जोगी
09. कहार
10. राजबंशी
11. पीरैली
12. चमार
13. डोम
14. पौन
15. टोर
16. बनमाली
17. हड्डी

प्रथम श्रेणी से 10 रूपये! द्वितीय श्रेणी से 6 रूपये! तृतीय श्रेणी से 2 रूपये और चतुर्थ श्रेणी से कुछ नही!

अब जो कंगाल की लिस्ट है जिन्हें हर जगह रोका जाता था और मंदिर में नही घुसने दिया जाता था। क्योंकि वो एन्ट्री फीस नही दे पाते थे। ठीक वैसे ही जैसे आज आप
ताजमहल/लालकिला में बिना एन्ट्री नही जा सकते...

आप यदि उस समय 10 रूपये भर सकते थे तो आप सबसे अच्छे से ट्रीट किये जाते थे...

डॉ आंबेडकर ने अपनी लोथियन कॉमेटी रिपोर्ट में इसी लिस्ट का जिक्र किया है और कहा कि कंगाल पिछले 100 साल में कंगाल ही रहे!

बाद में वही कंगाल अंग्रेजों द्वारा और बाद में काले अंग्रेज कोंग्रेसियों द्वारा षडयंत्र के तहत अछूत बनाये गए! ताकि हिंदु समाज विभाजित कर उन्हें बरगला कर धर्मांतरित किया जा सके...!!

हिन्दुओ के सनातन धर्म में छुआछुत बेसिक रूप से कभी था ही नहीं।

यदि ऐसा होता तो सभी हिन्दुओ के श्मशानघाट और चिता अलग अलग होती। और मंदिर भी जातियों के हिसाब से ही बने होते और हरिद्वार में अस्थि विसर्जन भी जातियों के हिसाब से ही होता।

यह जातिवाद आज भी ईसाई और मुसलमानों में भी है। इनमें जातियों और फिरको के हिसाब से अलग अलग चर्च और अलग अलग मस्जिदें हैं और अलग अलग कब्रिस्तान बने हैं। सनातनी हिन्दुओं में जातिवाद
भाषावाद, प्रान्तवाद, धर्मनिपेक्षवाद, जडतावाद, कुतर्कवाद, गुरुवाद, राजनीतिक पार्टीवाद पिछले 1000 वर्षों से मुस्लिम और अंग्रेजी शासको ने षडयंत्र से डाला है, ताकि विभाजित हिंदुओं पर शासन करनें में आसानी हो...

एकजुट हिंदुओं पर शासन विश्व की कोई भी प्रजाति के बस की बात नहीं है। जिस पर से कांग्रेस नाम के राजनीतिक दल ने पिछले 70 वर्षो तक अपनी राजनीति की रोटियां सेकीं और जूते में दाल खिलाई!

#साभार
t.me/modified_hindu…

कमर दर्द, सर्वाइकल और चारपाई ( खाट)ये समझिए कि हमारे पूर्वज वैज्ञानिक थे...सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम ख...
25/09/2023

कमर दर्द, सर्वाइकल और चारपाई ( खाट)

ये समझिए कि हमारे पूर्वज वैज्ञानिक थे...
सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है क्या हमारे पूर्वजों लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे!, वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं था..
लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है , लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके चारपाई बनाना एक कला है उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।
जब हम सोते हैं , तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है..
दुनिया में जितनी भी आराम कुर्सियां देख लें सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था लकडी का सपाट
बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया,चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है...
डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं, वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है खाट को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं..
अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है...
गर्मियों में Bed मोटे गद्दे के कारण गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है
बान की चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता है...
हमारी देशी ‘चारपाई’ की उपयोगिता और गुण के समझते हुए अमेरिकी कंपनीयां विदेश में 1 लाख
रुपये से ज्यादा में इसे बेच रही पर हम इसके गुणों को अनदेखा कर बेड पर लेट कर हज़ारों बीमारियाँ ले रहे और अपनी ही किफ़ायती गुणकारी चीज़ों विदेशों में जाकर उनके मनचाहे पे अपनी देशी चीजें ख़रीद रहे
जय सनातन संस्कृति 🙏

इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश ......"बापू की हजामत और पुन्नीलाल का उस्तरा"‘‘बापू कल मैंने हरिजन पढा।’’ प...
25/09/2023

इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश ......

"बापू की हजामत और पुन्नीलाल का उस्तरा"

‘‘बापू कल मैंने हरिजन पढा।’’ पुन्नीलाल ने गांधीजी की हजामत बनाते हुए कहा।
‘‘क्या शिक्षा ली!’’
‘‘माफ करें तो कह दूं।’’
‘‘ठीक है माफ किया!’’
‘‘जी चाहता है गर्दन पर उस्तरा चला दूं।’’
‘‘क्या बकते हो?’’
‘‘बापू आपकी नहीं, बकरी की!’’
‘‘मतलब!’’
‘‘वह मेरा हरिजन अखबार खा गई, उसमें कितनी सुंदर बात आपने लिखी थी।’’
‘‘भई कौनसे अंक की बात है ??

‘‘बापू आपने लिखा था कि "छल से बाली का वध करने वाले राम को भगवान तो क्या मैं इनसान भी मानने को तैयार नहीं हूं " और आगे लिखा था "सत्यार्थ प्रकाश जैसी घटिया पुस्तक पर बैन होना चाहिए, ऐसे ही जैसे शिवा बावनी पर लगवा दिया है मैंने।’’

आंखें लाल हो गई थी पुन्नीलाल की।
तो क्या बकरी को यह बात बुरी लगी ?"

‘‘नहीं बापू अगले पन्ने पर लिखा था "सभी हिन्दुओं को घर में महाभारत नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे झगड़ा होता है और रामायण तो कतई नहीं, लेकिन कुरान जरूर रखनी चाहिए"

"बकरी तो इसलिए अखबार खा गई, कि हिन्दू की बकरी थी ना, सोचा हिन्दू के घर में कुरान होगी तो कहीं मेरी संतान को ये हिन्दू भी बकरीद के मौके पर काट कर न खा जाएं।’’

पुस्तक: मधु धामा लिखित, इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश

25/09/2023

NIA ने जारी की 19 खूंखार खालिस्तानी आतंकियों की सूची।

जब्त होगी सबकी संपत्ति, विदेशी धरती से चलाते हैं भारत विरोधी प्रोपेगेंडा।

1.परमजीत सिंह पम्मा- ब्रिटेन
2.वाधवा सिंह बब्बर- पाकिस्तान
3.कुलवंत सिंह मुठड़ा- ब्रिटेन
4.जेएस धालीवाल- अमेरिका
5.सुखपाल सिंह- ब्रिटेन
6.हरप्रीत सिंह उर्फ राना सिंह- अमेरिका
7.सरबजीत सिंह बेनूर- ब्रिटेन
8.कुलवंत सिंह उर्फ कांता- ब्रिटेन
9.हारजप सिंह उर्फ जप्पी सिंह- अमेरिका
10.रणजीत सिंह नीता- पाकिस्तान
11.गुरमीत सिंह उर्फ बग्गा बाबा- कनाडा
12.गुरप्रीत सिंह उर्फ बागी- ब्रिटेन
13.जसमीत सिंह हकीमजादा- दुबई
14.गुरजंत सिंह ढिल्लन- ऑस्ट्रेलिया
15.लखबीर सिंह रोड़े- कनाडा
16.अमरदीप सिंह पूरेवाल- अमेरिका
17.जतिंदर सिंह ग्रेवाल- कनाडा
18.दुपिंदर जीत- ब्रिटेन
19.एस. हिम्मत सिंह- अमरीका

इस्लाम में 2 पॉलिसी हैं - पहली *अल तकिया* और दूसरी *कितमान*..आईये दोनो के बारे मे विस्तार से जान ले, फिर जितना सेकुलरिज्...
22/09/2023

इस्लाम में 2 पॉलिसी हैं -

पहली *अल तकिया* और दूसरी *कितमान*..

आईये दोनो के बारे मे विस्तार से जान ले, फिर जितना सेकुलरिज्म निभाना हो निभाएं, ये पॉलिसियां इस्लाम के विस्तार के लिए बड़ी चालाकी से बनाई गयी है..

1- अल तकिय्या - इसका अर्थ है ढोंग करना, ढकोसला फैलाना, सत्य को नकारना..

* कब किया जाता है - जब किसी इस्लामी किताब में (कुरान, हदीस) में कोई गलती पकड़ी जाये, कोई आपत्तिजनक चीज हो तो मुस्लिम उसे झट से इंकार कर देंगे, कहेंगे ऐसा लिखा ही नहीं, उस समय की बात और होगी, आज वो रद्द हो चुकी है, इत्यादि - इत्यादि, पर कभी भूल से भी उस किताब को सुधारने की बात नहीं कहेंगे।

2- कितमान - इसका अर्थ है झूठ फैलाना, आडम्बर करना, आरोप लगाना..

* कब किया जाता है - जब मुस्लिम अल्पसंख्यक हो, तो वहां पर बहुसंख्यक समुदाय से झूठ बोलो, कहेंगे कि इस्लाम मे तो ऐसा है ही नही, कुरान इसकी इजाजत नही देता..
उदाहरण - अभी ओवैसी ने बयान दिया “भारत माता की जय नहीं कहूँगा” तो भारत का बहुसंख्यक समाज एकजुट होने लगा तो मुस्लिम निकल पड़े भारत माता की जय करने, कहने लगे कि इस्लाम तो ऐसा बताता ही नही, जबकि इस्लाम में देशभक्ति की इज़ाज़त नही, कुरान में “उम्मह” का आदेश हैं, देशभक्ति हराम है..

*कितमान* के अनुसार गलती पकडे जाने पर आप दूसरो की गलती निकालने लगो, नही निकाल पाएं तो आरोप लगाओ, हिंसा करो, गाली गलौज से काम चलाओ.....

सुन्नी विद्वान इब्न कथिर की व्याख्या के अनुसार - मुस्लिमों और गैर मुस्लिमों के बीच कभी मित्रता नहीं होनी चाहिए, अगर किसी कारण वश ऐसा करना भी पड़े तो तब तक ही मित्रता रहनी चाहिए जब तक मकसद पूरा नहीं हो जाता..

मुस्लिम *अल तकिया* और *कितमान* अल्पसंख्यक रहते हुए करते हैं, ताकि बहुसंख्यक गुमराह रहे..

* दारुल हर्ब - ये वैसी परिस्तिथि है जहाँ मुस्लिम अल्पसंख्यक हों और कोई दूसरा समाज बहुसंख्यक हो, दारुल हर्ब में आप मीठी छुरी बन जाओ, इस्लाम को शांति का मजहब बताओ, बहुसंख्यक को गुमराह करो,
और अपना कार्य (जिहाद) करते रहो जब तक दारुल हर्ब से दारुल इस्लाम (जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक) नहीं बन जाए फिर शरिया लागू कर दो..

*यह है इस्लाम की अंदरूनी सच्चाई*

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