10/12/2023
आर्य निर्माण सत्र गगसीना 🚩राह कठिन है,दूर है मंजिल,पथ प्रदर्शक भटक गए,हिम्मत से हर मुश्किल को आसान हमें ही करना है। 🚩 🇮🇳 कृण्वन्तो विश्वमार्यम्। 🙏
Masa Pahalwan born in Gagsina Village Haryana, India. Wrestler, trainer and education consultant for
आर्य निर्माण सत्र गगसीना 🚩राह कठिन है,दूर है मंजिल,पथ प्रदर्शक भटक गए,हिम्मत से हर मुश्किल को आसान हमें ही करना है। 🚩 🇮🇳 कृण्वन्तो विश्वमार्यम्। 🙏
🚩कृण्वन्तो विश्वमार्यम्।🚩
जिस समाज में बाबा भीमराव अम्बेडकर जैसे महान व्यक्ति समाज सुधारक ने जन्म लिया हो और जिसका पुरा जीवन विधा से ओत प्रोत रहा हो जिसने शिक्षा को हथियार बनाया हो वही समाज आज 60%अशिक्षित हैं क्यो ?? आओ जाने जीवन के 2 दिन शिक्षा के लिए राष्ट्र के लिए 🇮🇳 लघु सत्र के माध्यम से (आर्य निर्मात्री सभा द्वारा)
🚩गलतियां उनकी नही थी जिन्होने धोखा दिया गलतियां हमारी थी हमने मौका दिया ! 🙏🇮🇳
🚩🚩विषेश बैठक🚩🚩 सर्वहित पार्टी हरयाना पुरुषार्थ से ही लक्ष्य की प्राप्ति होती है 🙏राजनीति टेढ़ी-मेढ़ी रेखा है। वीर पुरूष इसे समझ पाते हैं। महावीर इस पर चल पाते हैं,और आर्यवीर सफल होते हैं। (मासा पहलवान हल्का घरौंडा ) जय (SHP) जय हरयाना 🚩जय आर्यावर्त 🙏
गुरु जी को कोटि कोटि नमन 🙏🚩🚩🚩🌺🌺🌺
सिख हिन्दू एकता की मिसाल- गुरु तेग बहादुर जी ”हिन्द की चादर “बलिदान दिवस (24 नवंबर) पर विशेष..
[डॉ. राजेन्द्र साहिल]
संसार को ऐसे बलिदानियों से प्रेरणा मिलती है, जिन्होंने जान तो दे दी, परंतु सत्य का त्याग नहीं किया।
नवम पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी भी ऐसे ही बलिदानी थे। गुरु जी ने स्वयं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के अधिकारों एवं विश्वासों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। अपनी आस्था के लिए बलिदान देने वालों के उदाहरणों से तो इतिहास भरा हुआ है, परंतु किसी दूसरे की आस्था की रक्षा के लिए बलिदान देने की एक मात्र मिसाल है-नवम पातशाह की शहादत। औरंगजेब को दिल्ली के तख्त पर कब्जा किए 24-25 वर्ष बीतने को थे। इनमें से पहले 10 वर्ष उसने पिता शाहजहां को कैद में रखने और भाइयों से निपटने में गुजारे थे। औरंगजेब के अत्याचार अपने शिखर पर थे। बात 1675 ई. की है। कश्मीरी पंडितों का एक दल पंडित किरपा राम के नेतृत्व में गुरु तेग बहादुर जी के दरबार में कीरतपुर साहिब आया और फरियाद की- हे सच्चे पातशाह, कश्मीर का सूबेदार बादशाह औरंगजेब को खुश करने के लिए हम लोगों का धर्म परिवर्तन करा रहा है, आप हमारी रक्षा करें। यह फरियाद सुनकर गुरु जी चिंतित हो उठे। इतने में, मात्र नौ वर्षीय श्री गुरु गोविंद सिंह बाहर से आ गए। अपने पिता को चिंताग्रस्त देखकर उन्होंने कारण पूछा। गुरु पिता ने कश्मीरी पंडितों की व्यथा कह सुनाई। साथ ही यह भी कहा कि इनकी रक्षा सिर्फ तभी हो सकती है, जब कोई महापुरुष अपना बलिदान करे। बालक गोविंद राय जी ने स्वाभाविक रूप से उत्तर दिया कि इस महान बलिदान के लिए आपसे बडा महापुरुष कौन हो सकता है? नवम पातशाह ने पंडितों को आश्वासन देकर वापस भेजा कि अगर कोई तुम्हारा धर्म परिवर्तन कराने आए, तो कहना कि पहले गुरु तेग बहादुर का धर्म परिवर्तन करवाओ, फिर हम भी धर्म बदल लेंगे। नवम पातशाह औरंगजेब से टक्कर लेने को तैयार हो गए। बालक गोविंद राय को गुरुगद्दी सौंपी और औरंगजेब से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो गए। औरंगजेब ने गुरु जी को गिरफ्तार किया और काल-कोठरी में बंद कर दिया। गुरु जी के सामने तीन शर्ते रखी गई- या तो वे धर्म परिवर्तन करें या कोई करामात करके दिखाएं या फिर शहादत को तैयार रहें। गुरु जी ने पहली दोनों शर्ते मानने से इंकार कर दिया।
परिणामस्वरूप गुरु जी के साथ आए तीन सिखों-भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला को यातनाएं देकर शहीद कर दिया गया। गुरु जी इन सबके लिए पहले से ही तैयार थे। उन्होंने कहा-मैं धर्म परिवर्तन के खिलाफ हूं और करामात दिखाना ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध है। गुरु जी को आठ दिन चांदनी चौक की कोतवाली में रखा गया। उन पर अत्याचार किया गया, परंतु वे अचल रहे और अंतत: नानकशाही तिथि पत्रानुसार 24 नवंबर 1675 के दिन उन्हें चांदनी चौक में शहीद कर दिया गया। गुरु जी के एक सिख भाई जैता जी ने गुरु जी के शीश को आनंदपुर साहिब लाने की दिलेरी दिखाई। गुरु गोविंद सिंह जी ने भाई जैता के साहस से प्रसन्न होकर उन्हें रंगरेटे-गुरु के बेटे का खिताब दिया। गुरु जी के शीश का दाह-संस्कार आनंदपुर साहिब में किया गया। गुरु जी के शरीर को भाई लखी शाह और उनके पुत्र अपने गांव रकाबगंज ले गए और घर में आग लगाकर गुरु जी का दाह-संस्कार किया। आज यहां गुरुद्वारा रकाबगंज, दिल्ली सुशोभित है। दिल्ली में आज भी गुरुद्वारा शीशगंज नवम पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी की बेमिसाल शहादत की याद दिलाता है। आज भी लोग उन्हें हिंद की चादर कह कर याद करते हैं।
कमला🙋🏼♀️- आये यू बोध सत्र के आग्या, कीमे घणा ए रुक्का पाट रह्या सै
सुनीता💁🏻♀️-बेबे सुणी तो मैंने भी सै, अक यू शिविर कोई दलितोद्धारिणी सभा लगवा रही सै।
कमला💁🏻♀️- दलितोद्धारिणी सभा? या के सै?
सुनीता🙋🏼♀️- नु बतावे थे, अक आपणे समाज मे ईश्वर,धर्म, ग्यान, संस्कार, खान पान,नशा, पाखंड के बारे में बतावेंगे। और नु भी केवें थे कि इसी बात बतावेंगे जो कदे न सुणी न देखी अर ना आज तक किसे नै देखण दी।।
कमला💁🏻♀️- आच्छा ए बाण, फेर तो मैंने भी ले चालिये बेबे, आये मेरे धौरे पिसे तो कोनी।
सुनीता🙋🏼♀️- बेबे तू घबरावे नी,ओड़े कोई पीसे न लागते, बस 3-4घंटे बैठ के ध्यान तै सुणना सै, अर मेरी भाभी नै भी ले आइए।
कमला 💁🏻♀️- आएं बेबे , नु तो बता कित आणा सै अर कद आणा सै?
सुनीता🙋🏼♀️- बेबे *इस इतवार नै (19 नवंबर ) राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, मूवाना (छोरे आला स्कुल ) मै ठीक सबेरे पौने 11बजे पौहच जाइये,अर नु करिए 96719 71777 पे अपणा नाम लिखवा दिये मैंने तो लिखवा दिया, अर मैं भी तने ओडाए पाऊंगी*
कमला🙋🏼♀️-ठीक सै,आच्छा बेबे नमस्ते
सुनीता💁🏻♀️- नमस्ते
🙏🏻🙏🏻
हरियाणा खेल महाकुंभ जिला करनाल की कुश्ती की ट्रायल में पहुचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और कुस्ती ट्रायल का शुभआरम्भ करवाया मासा पहलवान हल्का घरौंडा (SHP)🙏🚩
सब का हित सर्वहित राष्ट्रहित सर्व🙏🚩🚩🚩हित
🙏🚩🚩🚩
बिरसा मुण्डा की जयन्ती पर पुण्य स्मरण -
धर्मरक्षक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को खूंटी जिले के अडकी प्रखंड के उलिहातु गाँव में हुआ था। उस समय ईसाई स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई मत अपनाना जरुरी हुआ करता था। तो बिरसा ने मत परिवर्तन कर अपना नाम बिरसा डेविड रख दिया गया। उस समय ईसाई पादरी आदिवासियों की जमीन पर मिशन का कब्जा करने की कोशिश करते थे। बिरसा ने इसका विरोध किया जिस कारण वो स्कूल से निकाल दिए गये। ईसाईयों द्वारा प्रलोभन एवं छल-कपट से वनवासीयों का धर्मांतरण करने के दुष्चक्र को देखकर अत्यंत व्यथित हुए। उन्होंने ईसाई मिशनरी का विरोध करना आरम्भ कर दिया।
1890-91 से करीब पांच साल तक वैष्णव संत आनन्द पांडे से वैष्णव आचार-विचार का ज्ञान प्राप्त किया और व्यक्तिगत एवं सामजिक जीवन पर धर्म के प्रभाव पर मनन किया। परम्परागत धर्म की ओर उनकी वापसी हुई और उन्होंने धर्मोपदेश देना तथा धर्माचरण का पाठ पढाना शुरू किया। ईसाई मत छोड़ने वाले सरदार सरदार बिरसा के अनुयायी बनने लगे। बिरसा का पंथ मुंडा जनजातीय समाज के पुनर्जागरण का जरिया बना। उनका धार्मिक अभियान कालांतर में आदिवासियों को अंगेजी हुकुमत और इसाई मिशनरियों के विरोध में संगठित होकर आवाज बुलंद करने को प्रेरित करने लगा। उन्होंने मुंडा समाज में व्याप्त अन्धविश्वास और कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया। वह खडाऊ और हल्दी रंग की धोती पहनने लगे। उन्होंने कहा की ईश्वर एक है। भुत-प्रेत की पूजा और बलि देना निरर्थक है। सार्थक जीवन के लिए सामिष भोजन और मांस -मछली का त्याग करना जरुरी है। हंडिया पीना बंद करना होगा।
अंग्रेजों द्वारा गौहत्या को देखकर बिरसा मुंडा बहुत व्यथित हुए। उन्होंने इसे सरासर अत्याचार बताया। अंग्रेजों द्वारा विदेशी पहनावा, विदेशी विचार भोले भाले वनवासियों पर लादने का भी बिरसा ने विरोध किया। उनके अनुसार ईसाइयत का कार्य भारतवासियों को अपनी ही जड़ों से दूर करने जैसा हैं।
बिरसा मुंडा ने वनवासियों को एकत्र कर अपनी सेना बनाई और अंग्रेजों से लोहा लिया। नींद में सोते हुए उन्हें अपनी सेना के साथ पकड़ कर जेल भेज दिया गया। जहाँ उनकी केवल 25 वर्ष की आयु में मृत्यु हैजा से हुई। ।
बाल दिवस पर ऐसे क्रांति वीर बच्चो को कोटि कोटि नमन हम अपने पूर्वजों के श्रेष्ठ गुणों को अपने जीवन में धारण करें 🙏💐 🌺🚩🚩🚩🙏
दीपावली की भारत वासियो को हार्दिक शुभकामनाएं दीपावली पर यज्ञ जरुर करे 🙏🚩
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
रामायण के रचयिता, वेदों के उच्च कोटि के विद्वान, दया- करुणा के सागर, समस्त मनुष्यों के प्रेरणा स्रोत महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती (अश्विन, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा) पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाये|।
उन्होंने धर्म, सत्य, त्याग तथा कर्तव्य परायणता की सीख देकर समस्त मानव जाति का कल्याण किया। लौटो वेदो की और (मासा पहलवान हल्ल्का घरौंडा) 🙏🚩🚩🚩
विजय वीर पर्व विजयदशमी पर घरौंडा की पावन भूमि पर कुस्ती दंगल का आयोजन हुआ जिसमे जाने का अवसर मिला में दंगल कमेटी व घरौंडा वासियो का आभार प्रकट करता हूँ 🚩 जय श्री राम जय सर्वहित (SHP) (मासा पहलवान हल्ल्का घरौंडा 🚩)
जय श्री राम 🙏🚩🚩🚩
लौटो वेदो की और 🙏🚩🚩🚩
🚩लौटो वेदो की और🙏🚩🚩🚩
जय आर्यावर्त 🙏🚩🚩🚩
जय आर्यावर्त 🙏🚩🚩🚩
लौटो वेदो की और 🙏🚩🚩🚩
जय आर्यावर्त लौटो वेदो की और 🙏🚩🚩🚩
आर्य समाज गगसीना का 29 वा वार्सिक उत्सव 6,7,8 अक्टूबर आप सादर आमंत्रित हैं 🚩लौटो वेदो की और 🙏
🚩हो रहा राष्ट्र निर्माण लौटो वेदो की और 🙏
पुरुषार्थ को नमन जय श्री राम जय आर्यावर्त 🚩🚩🚩
#धर्मसंस्थापक_योगिराज_ आर्य श्रीकृष्ण जी आओ #आर्यपथ पर चलें ।
🥇पदक विजेता पहलवानो का किया स्वागत गगसीना कुस्ती नर्सरी 🚩🇮🇳✌
हो रहा राष्ट्र निर्माण 🙏🚩🚩🚩
किसी भी व्यक्ति का नेतृत्व प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी प्रतिक्रियाओं से तय होता है। आपकी सफलताओं का शोर तो पूरी दुनिया चकित होकर देखती है पर असफलताएँ बहुधा टूटे हुए मनोबल पर एकांत में आक्रमण करती हैं। भीषण निराशा के क्षणों में भी असफलता की कसक को अपने मनोबल से परास्त करके अपने लक्ष्य की ओर अपने कदम को बढ़ा देने की कला ही व्यक्ति को #सर्वहित व्यक्तित्व में बदल देती है।🙏🚩🚩🚩
🚩जय आर्यावर्त 🙏
वीर दुर्गादास राठौड़ ने मारवाड़ की धरती को मुगलों की दासता से छुड़वाने में अहम् भूमिका निभाई थी।
इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने दुर्गादास राठौड़ के बारे में कहा है कि, “उनको न मुगलों का धन विचलित कर सका और न ही मुगलों की शक्ति उनके दृढ निश्चय को पीछे हटा सकी, बल्कि वो ऐसा वीर था जिसमे साहस और कूटनीति मिश्रित थी। " ऐसे महान वीर दुर्गादास राठौड़ की जयंती पर कोटि कोटि नमन ।
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अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने वाले सुविख्यात 'काकोरी काण्ड' के स्मृति दिवस पर काकोरी काण्ड में शामिल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कोटिशः नमन।
देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी जांबाज़ क्रांतिकारियों को प्रणाम।
आज रोहद (झज्जर) में राष्ट्रीय अध्यक्ष रामबीर छिकारा जी के नेतृत्व में केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुई।बैठक में संगठन विस्तार और आगे की कार्य योजना को लेकर चर्चा हुई। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव चरण सिंह पंवार जी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय कुंडू जी, राष्ट्रीय प्रवक्ता बलकार आर्य जी, प्रदेश अध्यक्ष जसबीर तंवर जी, प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र किनाना जी, प्रदेश सचिव सुनील काम्बोज जी, प्रदेश प्रवक्ता रणवीर राणा जी, व अनुशासन समिति के अध्यक्ष ज्ञानेश्वर श्योराण जी, युवा इकाई के अध्यक्ष सुशील कटारिया जी के साथ-साथ केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहे।
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#महान_यौद्धा_महाराजा_जवाहर_सिंह जी को उनके बलिदान दिवस पर शत् शत् नमन 🙇
1765 में भरतपुर के महाराजा जवाहर सिंह ने अपने पिता महाराजा सूरजमल जी की मौत का बदला लेने के लिए दिल्ली के शासक नजीबुद्दौला पर आक्रमण कर दिया था। उन्हें चित्तौड़ के अपमान व बेशकीमती अष्टधातु गेट के बारे में जानकारी हुई तो वे अष्टधातु का दरवाजा भी उखाड़कर भरतपुर ले आए।
महाराजा जवाहर सिंह ही पहले राजा थे जिन्होंने आगरे के किले और दिल्ली के लाल किले को जीतकर विजय वैजयन्ती फहराई थी ।
ये दरवाजा आज भी जाट वीरों की बहादुरी और जिंदादिली की दास्तां बयां कर रहा है।
#महान_जाट_यौद्धा_महाराजा_जवाहर_सिंह अमर रहें।
आर्य समाज गगसीना का साप्ताहिक यज्ञ संपन्न
सर्वहित ही राष्ट्र हित 🙏🚩🚩🚩
Gagsina Village
Karnal
132001
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