08/03/2022
*स्त्री के लिए तो*
*बहुत, बहुत, बहुत ज़रूरी है*
*अपने पाँव पर खड़ा होना।*
हर चीज़ से समझौता कर लेना,
कमाने से मत करना।
आदमी बेरोज़गार हो जाए
तो दुनिया लानतें भेजती है।
अहंकार के ख़ातिर ही सही
लेकिन उसे उठकर बाहर
निकलना पड़ता कि कुछ कमाऊँ।
औरत बेरोज़गार घर में पड़ी है,
उसे तो कोई कुछ कहता भी नहीं,
कोई ताना नहीं मारेगा।
वो पड़ी हुई है बढ़िया।
*ये ख़तरनाक बात है,*
*इससे बचना।*
कम कमाओ, लेकिन इतना तो
ज़रूर कमाओ कि रोटी अपनी खाओ।
कोई हो घर में तुम्हारा—
पिता हो, पति हो—वो हो सकता है
एक लाख कमाता हो, पाँच लाख कमाता हो,
उससे तुलना मत करो अपनी।
अगर तुम बहुत नहीं कमा पा रहीं
तो दस ही हज़ार कमाओ,
पर इतना तो रहे न कि
मुँह में जो टुकड़ा जा रहा है
वो अपना है।
*ये मत कह देना कि,*
*“पति जब एक लाख कमाता है*
*तो मुझे कमाने की क्या ज़रुरत है?”*
और इस तरह की बातें अकसर
प्रेम के नाम पर चल जाती हैं कि,
“जब हम कमा ही रहे हैं
तो तुम्हें क्या ज़रुरत है?
बेगम, घर में रानी बनकर बैठो।”
अरे, तब तो अच्छा लगता है न
सुनने में कि बिना मेहनत के ही
हुज़ूर बोल रहे हैं कि
"घर में रानी बनकर बैठो,"
वो तो दो-साल, चार-साल बाद
पता चलता है कि खेल तो दूसरा था।
*बाहर निकलो, ढूँढो।*
*शुरू करने के लिए*
*कोई काम छोटा नहीं होता।*
तुम पाँच हज़ार, दस हज़ार,
जितना न्यूनतम कमा सकती हो,
उतने से ही शुरु कर लो।
बाद में बढ़ता रहेगा.
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_इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान दें ज़िन्दगी को, सच्चाई को, आज़ादी को!_
Praying God piece and happiness in life to all family members.. Take care of your self. God bless you all, enjoy your day. Looking for kind blessing of mother.🌞