Lazeez by nature

Lazeez by nature Special arrangements for Wedding party Ring Ceremony Birthday & Kitty parties
(14)

14/01/2019
Astrological Treasure

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मकर संक्रांति
का प्रवेश 14जनवरी को शाम 7:30बजे होने के कारण पुण्य स्नान दान 15जनवरी को होगा विस्तृत लेख आगे पढ़े 🕉🕉आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाए 🕉🕉15 जनवरी
मकर संक्रांति 2019
हम सभी जानते है की हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का अपना एक महत्व है। यह पर्व भारत के विभिन्न राज्यों में स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है।

सामान्यत: प्रति वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है परन्तु वर्ष 2019 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।

मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु क्षीण होने लगती है और बसंत का आगमन शुरू हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है।

मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, इस दिन गुड़, चावल और तिल का दान करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

इस दिन घर में सूर्य यंत्र स्थापित करने से साक्षात भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है| सूर्य देव की कृपा से सफलता के मार्ग प्रशस्‍त होते हैं। इस यंत्र को पूजन स्थल पर रखने से सूर्य ग्रह से संबंधित सभी तरह के दोष दूर होते है|

मकर संक्रांति 2019 शुभ मुहूर्त

पुण्य काल मुहूर्त : – सुबह 07:15:14 से दोपहर 12:30:00 तक

कुल अवधि- 5 घंटे 14 मिनट

महा पुण्य काल मुहूर्त : 07:15:14 से 09:15:14 तक

कुल अवधि- 2 घंटे

मकर संक्रांति पर राशि अनुसार क्या क्या दान करना चाहिए

शुरुआत करते है मेष राशि से-

मेष राशि के जातकों के लिए गुड़, तिल और मूंगफली का दान करना सबसे शुभ माना जाता है।
वृषभ राशि के जातकों को सफ़ेद कपडे और तिल का दान करना चाहिये।
मिथुन राशि के जातकों के लिए कंबल, चावल की खिचडी या मूंगदाल और चावल दान देना शुभ होता है।
कर्क राशि के लोगों के लिए सफ़ेद कपडे, चांदी तथा चावल का दान सर्वश्रेष्ठ होता है।
सिंह- राशि के लोगों को तांबा और सोना दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कन्या- राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
तुला- राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल का देना चाहिए और
वृश्चिक -राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा और तिल दान करने चाहिए।
धनु- राशि के लोग पीतल, पंचधातु व तिल का दान करें।
मकर- राशि के लोग चावल की खिचड़ी, बेसन के लड्डू या अष्टधातु से बनी वस्तुओं का दान करें,
कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी और तिल का दान करना चाहिए, वहीं
मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल और तिल दान करना उत्तम होता है।

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02/08/2018
Astrological Treasure

Astrological Treasure

🕉🕉🔔हर हर महादेव 🕉🕉देवाधिदेव महादेव को अति प्रिय श्रावण मास दिनांक 28 जुलाई से प्रारम्भ हो रहा है
हर प्रकार से प्रयत्न करके संयम और व्रत के साथ भोलेनाथ जी की आराधना करे हम आप सभी को विशेष आराधना की जानकारी दे रहे है
शुभकामनाओ के साथ ज्ञान और कर्म के लिए जानकरी

सावन के महीने में महामृत्युंजय करने से समस्त नवग्रह की शांति हो जाती है भविष्य में आने वाली सभी समस्या का समाधान हो जाता है जिनके घर महामृत्युंजय की पूजा होती है उस घर में भगवान शिव का वास होता है इस कारण उस घर में भूत-प्रेत कभी नहीं आते दुख दरिद्र कभी नहीं आते भगवान शिव की कृपा से घर में शांति बनी रहती है !!

**** घर का कोई सदस्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और समझती इलाज कराने के बाद में भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है तो भगवान मृत्युंजय का जाप घर में कराना चाहिए
***जिन घर में आर्थिक तंगी चल रही है प्रयास करने के बाद में भी नौकरी नहीं लग पा रही जॉब के लिए परेशान हो रहै है वह व्यक्ति कहीं मृत्युंजय का जाप करा ले तो उसके घर में धन धान्य की वृद्धि होगी

*रुद्राभिषेक- विधान-एक सम्पूर्ण जानकारी-*

रूद्र अर्थात भूत भावन शिव का अभिषेक
शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं।
शिव को ही रुद्र कहा जाता है क्योंकि- *रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:* यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं।
रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि
*सर्वदेवात्मको रुद्र:*
*सर्वे देवा: शिवात्मका:*
अर्थात् :- सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।
हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है।
साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं।
किसी खास मनोरथ कीपूर्ति के लिये तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक की जाती है।
*रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-*
• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों एवं बाधा दोष एवं ऐसी बीमारी जो पकड़ में नही आ रही हो को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।एवं बाधा शान्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्रा रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जातीहै।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है। एवं उसका मारण होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है। लक्ष्मी प्रप्ति होती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
परन्तु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है।
विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत सेभी अभिषेक किया जाता है।
तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत हीउत्तम फल देता है।
किन्तु यदि पारद के शिवलिंग काअभिषेक किया जाय तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है।
रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है। विद्वानों ने इसकी भूरि भूरि प्रशंसा की गयी है। पुराणों में तो इससे सम्बंधित अनेक कथाओं का विवरण प्राप्त होता है
रावण ने अपने दसों सिरों को काट कर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था। जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया।
भष्मासुर ने शिव लिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओ से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया।
*रुद्राभिषेक करने की विशेष तिथियां-*
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियों में अभिषेक करने से सुख-समृद्धि संतान प्राप्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार करने पर अनुष्ठान अवश्य सफल होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी के दिन भगवान शिव माता गौरी के साथ होते हैं, इस तिथिमें रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि उपलब्ध होती है।
कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी तथा शुक्लपक्ष की पंचमी व द्वादशी तिथियों में भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर होते हैं और उनकी अनुकंपा से परिवार मेंआनंद-मंगल होता है।
कृष्णपक्ष की पंचमी, द्वादशी तथा शुक्लपक्ष की षष्ठी व त्रयोदशी तिथियों में महादेव नंदी पर सवार होकर संपूर्ण विश्व में भ्रमण करते है।अत: इन तिथियों में रुद्राभिषेक करने पर अभीष्ट सिद्ध होता है।

ज्योर्तिलिंग-क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा शिवरात्रि-प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वो में शिव-वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं।
रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं। स्वयं श्रृष्टि कर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है की जब हम अभिषेक करते है तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करते है।
संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नही है जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो सकता है ।।

02/08/2018
Astrological Treasure

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माना जाता है कि श्रावण मास में शिव की पूजा करने से सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं। महादेव शिव सर्व समर्थ हैं। वे मनुष्य के समस्त पापों का क्षय करके मुक्ति दिलाते हैं। इनकी पूजा से ग्रह बाधा भी दूर होती है।

1. *सूर्य* से संबंधित बाधा है, तो विधिवत या पंचोपचार के बाद लाल { बैगनी } आक के पुष्प एवं पत्तों से शिव की पूजा करनी चाहिए।

2. *चंद्रमा* से परेशान हैं, तो प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर गाय का दूध अर्पित करें। साथ ही सोमवार का व्रत भी करें।

3. *मंगल* से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गिलोय की जड़ी-बूटी के रस से शिव का अभिषेक करना लाभप्रद रहेगा।

4. *बुध* से संबंधित परेशानी दूर करने के लिए विधारा की जड़ी के रस से शिव का अभिषेक करना ठीक रहेगा।

5. *बृहस्पति* से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए प्रत्येक बृहस्पतिवार को हल्दी मिश्रित दूध शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।

6. *शुक्र* ग्रह को अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो पंचामृत एवं घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।

7. *शनि* से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गन्ने के रस एवं छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करें।

8-9. *राहु-केतु* से मुक्ति के लिए कुश और दूर्वा को जल में मिलाकर शिव का अभिषेक करने से लाभ होगा।

शास्त्रों में मनोरथ पूर्ति व संकट मुक्ति के लिए अलग-अलग तरह की धारा से शिव का अभिषेक करना शुभ बताया गया है।

अलग-अलग धाराओं से शिव अभिषेक का फल- जब किसी का मन बेचैन हो, निराशा से भरा हो, परिवार में कलह हो रहा हो, अनचाहे दु:ख और कष्ट मिल रहे हो तब शिव लिंग पर दूध की धारा चढ़ाना सबसे अच्छा उपाय है।

इसमें भी शिव मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए।

1. *वंश की वृद्धि के लिए* शिवलिंग पर शिव सहस्त्रनाम बोलकर घी की धारा अर्पित करें।

2. शिव पर जलधारा से अभिषेक *मन की शांति के लिए* श्रेष्ठ मानी गई है।

3. *भौतिक सुखों को पाने के लिए* इत्र की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें।

4. *बीमारियों से छुटकारे के लिए* शहद की धारा से शिव पूजा करें।

5. गन्ने के रस की धारा से अभिषेक करने पर हर *सुख और आनंद मिलता है*।

6. सभी धाराओं से श्रेष्ठ है गंगाजल की धारा। शिव को गंगाधर कहा जाता है। शिव को गंगा की धार बहुत प्रिय है। गंगा जल से शिव अभिषेक करने पर *चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।* इससे अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मन्त्र जरुर बोलना चाहिए।

*कार्य सिद्धि के लिए:--*

1. हर ‍इच्छा पूर्ति के लिए हैं अलग शिवलिंग
पार्थिव शिवलिंग हर कार्य सिद्धि के लिए।

2. गुड़ के शिवलिंग प्रेम पाने के लिए।

3. भस्म से बने शिवलिंग सर्वसुख की प्राप्ति के लिए।

4. जौ या चावल या आटे के शिवलिंग दाम्पत्य सुख, संतान प्राप्ति के लिए।

5. दही से बने शिवलिंग ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए।

6. पीतल, कांसी के शिवलिंग मोक्ष प्राप्ति के लिए।

7. सीसा इत्यादि के शिवलिंग शत्रु संहार के लिए।

8. पारे के शिवलिंग अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के लिए।

पूजन में रखे इन बातों का ध्यान:--
👇👇👇
1. सावन के महीने में शिवलिंग की करें | शिवलिंग जहां स्थापित हो पूरव् दिशा की ओर मुख करके ही बैठें।

2. शिवलिंग के दक्षिण दिशा में बैठकर पूजन न करें।

ये होता है अभिषेक का फल:--

1. दूध से अभिषेक करने पर परिवार में कलह, मानसिक पीड़ा में शांति मिलती है।

2. घी से अभिषेक करने पर वंशवृद्धि होती है।

3. इत्र से अभिषेक करने पर भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

4. जलधारा से अभिषेक करने पर मानसिक शान्ति मिलती है।

5. शहद से अभिषेक करने पर परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता।

6. गन्ने के रस की धारा डालते हुये अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद माहौल बना रहता है।

7. गंगा जल से अभिषेक करने पर चारो पुरूषार्थ की प्राप्ति होती है।

8. अभिषेक करते समय महामृत्युंजय का जाप करने से फल की प्राप्ति कई गुना अधिक हो जाती है।

9. सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता।

ये भी मिलते हैं फल:--
👇
9. बिल्वपत्र चढ़ाने से जन्मान्तर के पापों व रोग से मुक्ति मिलती है।

10. कमल पुष्प चढ़ाने से शान्ति व धन की प्राप्ति होती है।

11. कुशा चढ़ाने से मुक्ति की प्राप्ति होती है।

12. दूर्वा चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है।

13. धतूरा अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति व पुत्र का सुख मिलता है।

14. कनेर का पुष्प चढ़ाने से परिवार में कलह व रोग से निवृत्ति मिलती हैं।

15. शमी पत्र चढ़ाने से पापों का नाश होता, शत्रुओं का शमन व भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
*हर हर महादेव*
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24/06/2018
Astrological Treasure

Astrological Treasure

1. ANCIENT PROCEDURES FOR IMMUNITY FROM GRAHA DOSH/KARMIC FAL
2. UNIQUE PREVENTIVE LIFE MANAGEMENT
3. EFFECTIVE DHAN PRAPTI TOOLS
4. REMEDIAL PACKAGES

03/06/2018
Astrological Treasure

Astrological Treasure

Goddess Maha Luxmi Abhishekum with Ancient Shree Suktam and Kanak Dhara Strotam

27/05/2018
Astrological Treasure

Astrological Treasure

Goddess Maha Luxmi Abhishekum with Ancient Shree Suktam and Kanak Dhara Strotam Part 1

06/05/2018
Astrological Treasure

1. ANCIENT PROCEDURES FOR IMMUNITY FROM GRAHA DOSH/KARMIC FAL
2. UNIQUE PREVENTIVE LIFE MANAGEMENT
3. EFFECTIVE DHAN PRAPTI TOOLS
4. REMEDIAL PACKAGES

02/01/2016

Timeline Photos

13/02/2015

A very Happy🎉 and joyous 🎁 valentines day to u all 🎈💛💙💜💚❤

13/02/2015

Celebration Offer✨🌟💫🎉🎋🎊🎁
Free WiFi at restaurant while dining
10% discount on home deliveries
10% discount on lunch ( 12 pm - 5 pm )

13/02/2015

Photos from Lazeez by nature's post

31/12/2014

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25/12/2014

Merry Christmas #

20/12/2014

Lazeez by nature's cover photo

20/12/2014

Being lazy has never been that rewarding !
Enjoy your Hot food on your couch, in this chilling weather...!!
by nature

15/11/2014

Now get ur reservations with zomato and Have a LazEeZ evening with your loved ones ...!!

11/10/2014

Happy karvachaut
Enjoy unlimited pure veg food only @350 from 7 to 11:30 pm

07/07/2014
Lazeez by Nature - Delhi NCR

Lazeez by Nature - Delhi NCR

Cost: Rs. 300 for two people (approx.). Cuisines: North Indian, Chinese, Italian

06/07/2014
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01/07/2014

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