12/10/2023
।।सुखम सुखम आरा ll
llस्वर्ण सीडी आरोहण ll
।।सतयुग।।
एक सोच या सचाई
एक आधार या परिभाषा
एक काल एक समय एक युग
जय जिनेद्र
मैं इस उत्सव की रचिता (भाग्यश्री) आप सभी के साथ इस इसके स्वरूप मैं आने की कहानी को दर्शाना चाहती हू।
प्यार ,अपनापन, खुशी ,परिवार साथ, विनम्रता ,सादगी, विवेक
ऐसे कई गुणोसे संजोया हुआ एक मोती रूप माला को हम सतयुग के तौर पर याद करते हैl और आजके इस युग जिसे हम सभी कलयुग के नाम से संबोधित करते है ,उस सतयुग की कुछ झलकियों को खोज रहे है ।
बस यही वो सोच थी जिसने हमें प्रेरित किया बोथरा परिवार के स्वर्ण सीडी उत्सव को सतयुग का स्वरूप देने के लिए।
आजके आधुनिक समय में हम सभी अपनी संस्कृति सभ्यता संस्कारों को कही पीछे छोड़ आए है ।अपनी मातृभाषा का संवाद हमे किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं लगता है ऐसी परिस्थिति मैं
सभी तक सतयुग को पहुंचना काफी मुश्किल और जटिल था।
पर वो कहते है ना जहा चाह वहा रह
मोहित करिश्मा ने इस सोच को यथार्थ रूप देने के लिए हर तरह का सहयोग दिया जो खयाल केवल मन मैं था विचारो मैं था उस पूर्ण करने के सभी न अथांग परिश्रम किए
इस आयोजन का नियोजन उत्तम हो हमारा यही प्रयास था
दादी मां की सेहत साथ नही दे रही थी पर जब मन मैं विश्वास हो तो ईश्वर भी आपके साथ हो जाते है ,और उनका आशीर्वाद दैविक के रूप मैं हमे प्रताप हो चुका था जो इस उत्सव का मुख्य सार किरदार था ,घर पर सभी के साथ स्वर्ण सीडी का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
अब समय था सबसे महत्वपूर्ण दिन को अद्भुत अनोखे अविस्वरणीय क्षण का आकार देने का
महीनो की मेहनत कई लंबे संशोधन, लोगो को सतयुग कैसे याद दिलाए कैसे महसूस करवाए
उसे सबके सामने कैसे प्रस्तुत करे ऐसे कई प्रश्नो के उत्तर खोजते हुए हमे वो नाम मिला जो हमारी सोच को दर्शाता था
।।सुखम सुखम आरा ll
करिश्मा ने अपने नाम को सार्थक किया और अपने सूझ बूझ से हमे वो नाम दिया जिसे हम खोज रहे थे।
परिवार का प्यार साथ केवल पन्नो में नही तो साथ आकार मंच पर खुशी खुशी झलकाया
शुभ आशीर्वाद चरण के साथ उत्सव का शुभ आरंभ हुआ
हमारे कलाकार स्वाति जैन एवं प्रिय जैन जी ने भी हमारे सपने को अपने सुरीली आवाज मैं पिरोकर सब तक पहुंचाया
जितना लिखू बोलू वो सब कम है
बड़े बुजुर्ग कहते है समय एक ही बार पलट कर आता है और उस दिन हम सबने इस कलयुग मैं उस सतयुग को जिया
आसान नहीं था
कुछ पता नही था क्या होगा कैसे होगा पर वो हुआ दादी मां और आप सभी के आशीर्वाद से
उत्सव के बाद सबने स्तुति की
आखों मे खुशी के मोती झरने के रूप बहते चले जा रहे थे
होठ केहना बहुत कुछ चाहते थे पर मन