Shri Ganesh Tent Decorators And Catters

Shri Ganesh Tent Decorators And Catters Best Event Management
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05/03/2024
17/12/2023

विजातीय विवाह पर विशेष-
सम्प्रति समय की ज्वलंत समस्याओं में अंतरजातीय विवाह भी हर समाज के सामने चुनौती के रूप में उपस्थित है।यह केवल हमारे समाज में ही नहीं,अपितु हर प्रगतिशील धर्म,समाज, जाति पंथ में कमोबेश यही स्थिति है।मैं व्यक्तिगत रूप से इसका पक्षधर नही हूँ।गीतादि धर्मग्रंथ भी विजातीय विवाह को निषेध मान रहे है।क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देंगे।रोटी-बेटी का व्यवहार सोच समझकर ही करना चाहिये।
समाज के विज्ञ लोगों को आगे आकर इसका कोई समाधान निकालने का प्रयास करना होगा।नहीं तो विघटन के हालात उत्पन्न हो रहे है।यद्यपि क़ानूनन यह वैध है परंतु सामाजिक स्तर पर आज भी इसे समर्थन नहीं है।जिसके परिवार में ऐसे विवाह हो चुके हैं या होने की स्थिति में है वो अपने आप को अलग-थलग व शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं।आधुनिक युग में जब संतानें माँ बाप के नियंत्रण से बाहर हो रही है।तब संतानों की ख़ता की सजा माँ बाप को देना शायद न्यायोचित नहीं होगा।अधिकांश ऐसे मामलों में माँ-बाप की मर्ज़ी के विरूद्ध ही वैवाहिक संबंध होते है।

जिन परिवारों ऐसे विजातीय विवाह हो चुके हैं उनके प्रति समाज का क्या व्यवहार होना चाहिये।इसके लिये समष्टिगत विचार मंथन के बाद उचित निर्णय करना होगा।

हमें पहले इसकी बुनियाद में जाना होगा। इसके मुख्य कुछ कारण है।
जिनमें प्रथम सहशिक्षा है।”संसर्गजा गुणा दोष भवन्ति।” लड़के लड़कियाँ एक साथ पढ़ाई करते हुए एक-दूसरे से प्रभावित होकर विवाह तक बढ़ जाते है। जो किशोर अपने घरों से दूर होस्टल या बड़े शहरों में निगरानी के बिना रह रहे है।उनमें ऐसे मामले ज़्यादा आ रहे है।

माता-पिता की लापरवाही भी एक कारण है। माताएँ दुलार देती है। पिता को समय नहीं है कुछ संवाद में अंतर भी है।बच्चों को अंकुशयुक्त आजादी दें।

बच्चों को यह समझाना आवश्यक है कि, जीवन साथी का चुनाव एक बहुत बड़ा निर्णय है। यह यदि अपरिपक्व आयु में किया जाता तो वह प्रायः ग़लत निर्णय होता है।
बिना सावधानी के सोशल मीडिया व इंटरनेट का इस्तेमाल करना है ।
जिनको समाज में विवाह के लिये लड़कियाँ नहीं मिल रही वो भी अंतरजातीय की तरफ़ कदम उठाते है।

जो लोग ये कहते हैं कि इन्सान सब एक है ,उनको ये समझना होगा।कि
विवाह और इन्सानियत दोनों अलग अलग बात है।हम मानवता के नाते सबको एक समान माने ये अलग बात है लेकिन हमारी सामाजिक व्यवस्था व परम्पराएँ है उन सबका अपना महत्व है । विभिन्न समाजों के अपने रीति-रिवाज, रिचुअल्स एवं धार्मिक विश्वास होते हैं उनको ठीक ढंग से निभा पाना बहुत मुश्किल होता है। केवल दो लोगों के बीच ही जीवन का निर्वाह नहीं हो पाता है मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज के बिना इसका कोई अस्तित्व नहीं है। जिस प्रकार लकड़ी नाव से जुड़ अपनी गति को सही दिशा दे पाती है।उसी प्रकार मनुष्य समाज के साथ चलकर जीवन को सार्थक कर सकता है।नीति शास्त्र कहता है कि,

मृगा मृगैः सङ्गमनुव्रजन्ति
गावश्च गोभिः तुरगास्तुरङ्गैः।
मूर्खाश्च मूर्खैः सुधियः सुधीभिः
समान-शील-व्यसनेषु सख्यम्॥

“जैसे हिरणें हिरणों के, और गाएं गौओं के, घोड़े घोड़ों के साथ पीछे घूमते हैं। वैसे ही मूर्ख मूर्खों के और बुद्धिमान् बुद्धिमन्तों के साथ घूमते हैं। इसीलिए समान शील और व्यवहार में मित्रता होती है।”

अपने समान गुणधर्म व्यवहार के जीवनसाथी का चयन करना चाहिये।

इतना होने के बाद अंत में मेरे विचार में अंतरजातीय विवाह सड़क दुर्घटना के समान है।जो किसी के भी साथ होने की संभावना बनी रहती है।सड़क पर चलने समय कई बार स्वयं की गलती न होते हुए भी राहगीर दुर्घटना के शिकार हो जाते है। जिसकी यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न हो चुकी वह भी यदि यह दावा करें कि भविष्य में मेरे साथ दुर्घटना नहीं होगी तो शायद वह ठीक नहीं होगा।

इसलिये यही निवेदन है कि,अपने बच्चों की वैवाहिक वय होने के बाद सजगता से समाज की रीति परंपरा से विवाह करें।अपने बच्चों से निरंतर संवाद व उनके आचरण पर अंकुश रखें।समाधान के रूप में मां-बाप को अति सावचेत रहना होगा, धर्म गुरुओं, सामाजिक मुखियाओं, धार्मिक सामाजिक संस्थाओं को विशेष प्रयास करते हुए समाज में जाम्भाणी संस्कारों को पुष्ट करना होगा। बचपन से संस्कारित बालक-बालिकाएं युवा होने पर पंथ की मर्यादाओं का ध्यान रखते हैं,वे परिधि से बाहर जाने की गुस्ताख़ी नहीं करते। जाम्भाणी पंथ तो मुक्ति का पंथ इसमें जन्म लेने वाले के पास मुक्ति का स्वयंसिद्ध अधिकार होता है। यह गौरव की भावना बच्चों में बचपन से भरी जाएंगी तो आगे जाकर किसी भी परिस्थिति में पंथ की मर्यादाओं से खिलवाड़ नहीं करेंगे। जाम्भाणी साहित्य अकादमी पिछले दस वर्षों में जाम्भाणी साहित्य ज्ञान परीक्षा और जाम्भाणी संस्कार शिविरों के माध्यम से निरंतर प्रयासरत और भविष्य में इसमें और भी तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।आप सभी का सहयोग अपेक्षित है ।
सादर-
स्वामी सच्चिदानंद आचार्य
लालासर साथरी धाम

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