Shiv Shakti Light & Tent House Bandrai Sunderbani

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Shiv Shakti Light & Tent House Bandrai Sunderbani Other people look for a beautiful place but we make a place beautiful...

हमारे गाँव बांदराई के लिए गौरव का क्षण है कि सुला नाला बांदराई के पुष्पराज शर्मा पुत्र श्री सिन्दूरी लाल पंडित जी ने NEE...
08/09/2024

हमारे गाँव बांदराई के लिए गौरव का क्षण है कि सुला नाला बांदराई के पुष्पराज शर्मा पुत्र श्री सिन्दूरी लाल पंडित जी ने NEET परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) जामनगर, गुजरात में सीट मिली.💐

पुष्पराज आपकी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और समर्पण रंग लाया है, और आपका चयन आपके सपनों और आपके माता-पिता की कड़ी मेहनत के प्रति आपकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस मुकाम तक आपकी यात्रा चुनौतियों से भरी रही है और यह उपलब्धि एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो एक रोमांचक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। आप सदैव चमकते रहें और हमें गौरवान्वित करते रहें! एक बार फिर बधाई!🙏💐

10/11/2023
One of the sweetest words I have ever heard is "Bibi & Mai" the honorary titles for grandmother..My grandmother is a rem...
03/10/2023

One of the sweetest words I have ever heard is "Bibi & Mai" the honorary titles for grandmother..
My grandmother is a remarkable woman. She's a wonderful combination ofwarmth,kindness,laughter and love.I still remember her handmade makki ke rotti-milk or curd curry which she alwas served to me in an aluminum bowl....I can never ever forget that taste......

05/09/2023
30/06/2023

जब आप किताब उठाते हैं तो बंदूक नीचे रखनी पड़ती है !

 #भगतसिंह की बैरक की साफ-सफाई करने वाले भंगी का नाम बोघा था। भगत सिंह उसको बेबे (मां) कहकर बुलाते थे। जब कोई पूछता कि भग...
29/06/2023

#भगतसिंह की बैरक की साफ-सफाई करने वाले भंगी का नाम बोघा था। भगत सिंह उसको बेबे (मां) कहकर बुलाते थे। जब कोई पूछता कि भगत सिंह ये भंगी बोघा तेरी बेबे कैसे हुआ? तब भगत सिंह कहते, मेरा मल-मूत्र या तो मेरी बेबे ने उठाया, या इस भले पुरूष बोघे ने। बोघे में मैं अपनी बेबे (मां) देखता हूं। ये मेरी बेबे ही है।
यह कहकर भगत सिंह बोघे को अपनी बाहों में भर लेता।

भगत सिंह जी अक्सर बोघा से कहते, बेबे मैं तेरे हाथों की रोटी खाना चाहता हूँ। पर बोघा अपनी जाति को याद करके झिझक जाता और कहता, भगत सिंह तू ऊँची जात का सरदार, और मैं एक अदना सा भंगी, भगतां तू रहने दे, ज़िद न कर।

सरदार भगत सिंह भी अपनी ज़िद के पक्के थे, फांसी से कुछ दिन पहले जिद करके उन्होंने बोघे को कहा बेबे अब तो हम चंद दिन के मेहमान हैं, अब तो इच्छा पूरी कर दे!

बोघे की आँखों में आंसू बह चले। रोते-रोते उसने खुद अपने हाथों से उस वीर शहीद ए आजम के लिए रोटिया बनाई, और अपने हाथों से ही खिलाई। भगत सिह के मुंह में रोटी का गास डालते ही बोघे की रुलाई फूट पड़ी। ओए भगतां, ओए मेरे शेरा, धन्य है तेरी मां, जिसने तुझे जन्म दिया। भगत सिंह ने बोघे को अपनी बाहों में भर लिया।

ऐसी सोच के मालिक थे अपने वीर सरदार भगत सिंह जी...। परन्तु आजादी के 70 साल बाद भी हम समाज में व्याप्त ऊँच-नीच के भेद-भाव की भावना को दूर करने के लिये वो न कर पाए जो 88 साल पहले भगत सिंह ने किया।
महान शहीदे आजम को इस देश का सलाम।

05/11/2021
30/10/2021
11/10/2021
Extraordinary weddings don’t just happen, they are planned....
29/09/2021

Extraordinary weddings don’t just happen, they are planned....

Samotra decorators and caterers🥰
18/06/2021

Samotra decorators and caterers🥰

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