25/08/2018
मैं मानता हूँ मैं खास नहीं, मैं सबके दिलों के पास नहीं, मैं दूर गगन सा दूर हूँ, पर इन्सान तो मैं ज़रूर हूँ। मुझे पढ़ें सभी, वो शब्द नहीं, एक वक्त था मेरा, अब वो वक्त नहीं, सागर सा मुझमें तेज सही, मेरा नाम मेरा है, रेत नहीं, मैं अपने कल का गुरूर हूँ, इन्सान तो मैं ज़रूर हूँ। [ 72 more words ]
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मैं मानता हूँ मैं खास नहीं, मैं सबके दिलों के पास नहीं, मैं दूर गगन सा दूर हूँ, पर इन्सान तो मैं ज़रूर हूँ। मुझे पढ़ें सभ....