Ranjana Vaishnav

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  कल एक साथ तीन पेपर में  न्यूज़ प्रकाशित ।
20/12/2023

कल एक साथ तीन पेपर में न्यूज़ प्रकाशित ।

माँ मेरी  पेड़ है तो, पापा उस पेड़ के पत्ते हैं ।माँ मेरी भावनात्मक है तो ,पापा , रचनात्मकता के पक्के हैं ।माँ मेरी प्या...
27/11/2023

माँ मेरी पेड़ है तो,
पापा उस पेड़ के पत्ते हैं ।

माँ मेरी भावनात्मक है तो ,
पापा , रचनात्मकता के पक्के हैं ।

माँ मेरी प्यार की मूरत है तो,
पापा ,उस मूर्त के साथी सच्चे हैं।

माँ मेरी मक्खन सी नरम है तो
पापा मेरे , सख्त पर दिल से अच्छे हैं।

माँ मेरी निर्मल चांमँदनी सी उज्जवल है तो
पापा मेरे , पूनम की रात में चकोर जैसे हैं ।

माँ मेरी ,महकते गुलाब सी है तो
पापा मेरे , उस महक के भवरे हैं।

- रंजना कुमारी वैष्णव



बुराई पर अच्छाई का, आओ जश्न मनाए। रावण के अहंकार को, रामबाण से ढहाए। अधर्म के काल में,धर्म की विजयपताका फहराए माँ दुर्गा...
09/11/2023

बुराई पर अच्छाई का,
आओ जश्न मनाए।

रावण के अहंकार को,
रामबाण से ढहाए।

अधर्म के काल में,
धर्म की विजयपताका फहराए

माँ दुर्गा व राम के
आशीर्वाद से,
वसुधैव कुटुंबकम सजाए।

प्रभु के आगमन उत्सव पर,
आओ दीप जलाए।

असत्य पर सत्य की जीत का,
"जय श्री राम" जयकारा लगाए।

- रंजना कुमारी वैष्णव

गमों के समुन्दर  मे खुशियों की कश्ती लिए फिरती हँ ।मैं पागल...होंठो पर फीकी मुस्कान लिए फिरती हूँ। जरूरतों के शहर मे ख्व...
24/09/2023

गमों के समुन्दर मे
खुशियों की कश्ती
लिए फिरती हँ ।

मैं पागल...
होंठो पर फीकी मुस्कान
लिए फिरती हूँ।

जरूरतों के शहर मे
ख्वाईशो का सार
लिए फिरती हूँ ।

मैं पागल...
स्वार्थी दुनिया को साथ
लिए फिरती हूँ।

बेबात से लोगों के बीच मे
बहुत से मतलब
लिए फिरती हूँ।

मैं पागल...
निशा से मन मे भोर
लिए फिरती हूँ।
-रंजना कुमारी वैष्णव

22/09/2023
तुझसे दूर हूँ फिर तेरी आवाज सुनकर शर्माना कैसा ?यूं भीड़ में भी तुझे सोच कर मुस्कुराना कैसा ?आँखों में नमी तो तेरी कमी ह...
28/08/2023

तुझसे दूर हूँ
फिर तेरी आवाज
सुनकर
शर्माना कैसा ?
यूं भीड़ में भी
तुझे सोच कर
मुस्कुराना कैसा ?
आँखों में नमी तो
तेरी कमी है...
ये सोचकर आ जाती है ।
कभी मिलोगे नहीं
पता है हमें ,
जानकर भी ...
तेरे इश्क में
डूब जाना कैसा?
- Ranjana vaishnav 💔 ✍️

एक ऐसी जन्नत हो, जहाँ बस हर खुशी हो, फूलों की घटाएं हो, प्यार जो चाहो तो प्रकृति का साथ हो, दोस्ती हो बादलों से, झरनों स...
20/08/2023

एक ऐसी जन्नत हो,
जहाँ बस हर खुशी हो,
फूलों की घटाएं हो,
प्यार जो चाहो तो
प्रकृति का साथ हो,
दोस्ती हो बादलों से,
झरनों से मुलाकात हो,
बात गर करना चाहूँ तो
तोता मैना के जज्बात हो,
हर सुबह की शुरुआत मुर्गे की बांग तो
शरद पूर्णिमा सी रात हो,
तितलियों संग मटरगश्ती हो,
उत्पात हेतु नदियों का साथ हो,
अगर खेलना चाहूँ तो
भँवरो की बारात हो,
शोर सराबा चाहूँ तो
चिड़ियों की चहचहाहट हो,
सपनों में खोना चाहूँ तो
नन्ही परियों का मधुर खिलखिलाहट हो,
दिन में रवि की रोशनी तो
निशा संग जुगनूओ की सौगात हो,
गर्मी जो लगे तो
शीतल हवा का आगाज हो,
सर्द ठिठुरन से बचना चाहूँ तो
केहरी मांद में निवास हो,
मैं जब भी खुद को अकेला पाऊँ तो
बस ये प्राकृतिक अहसास मेरे साथ हो।
- रंजना कुमारी वैष्णव, राजस्थान



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07/07/2023

*रामसेतु निर्माण काण्ड*

उत्साहित शब्द राम मुख से बोले
अति विलम्ब ना हो सुग्रीव !
जामवंत जी सोच में ,
सीताजी की मनःस्थिति बोले।

सेना का जोश देख सुग्रीव बोले,
उमंग और उत्साह से हर्षित है ह्रदय!
समस्त शास्त्रों के मर्मज्ञ को
राम सेनानायक बोले।

रामदूत लंका भेद एक-एक कर खोलें
पूर्व योजना से कमर कसे वानर विजय मुहूर्त पर यात्रा आरंभ कर
किष्किंधा सैन्य बल कुच को हनुमत बोले।

रणबांकुरों विजयी हो रामजी बोले
योगी बन फहराना पताका।
नदियों के स्वामी को प्रणाम कर
मार्ग दो नदीश ! आराधना कर बोले।।

सागर की ढीटता देख राम कोप मे बोले
लाओ मेरे सर्पबाण धनुष अब,
बहुत हुआ ये संवेदी संयम
अग्निबाण के भय से रत्नाकर त्राहिमाम त्राहिमाम बोले।

प्रकट अर्णव उचित उपाय राम से बोले,
आप की सेना के बलशाली वीर
सिद्ध ऋषि से श्रापित नल और नील
जिनकी फेंकी वस्तु नीर में ना डूबे।

"राम नाम से सिंधु तरे पाषाण,
राम करे शिव आराधना
और प्रभु का ध्यान"

सौ योजन सेतु निर्माण पूर्ण हुआ
वीर हनुमत बोले ,
हर्षाए अयोध्या नाथ देखो
प्रणाम कर अराध्य देव को
आज से है ये तीर्थ रामेश्वरम, बोले ।।

"राम जी संग सेना वेग उमंग से लो चली ,
लंका पर डेरा डालने को सागर पार कर लो चली ,
आस विश्वास करो राम जी पर
मनः भावों से रंजना उचित शब्द ये कह चली।।


28/06/2023

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15/05/2023

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Torento Marble, available at Stone Fort India, is a luxurious and elegant natural stone that is perfect for adding a touch of sophistication to any space. With its unique veining and subtle colors, Torento Marble is a popular choice for both residential and commercial projects.

Torento Marble is quarried in Italy and is known for its durability, strength, and natural beauty. It is a dense and hard-wearing stone that can withstand heavy foot traffic and extreme weather conditions, making it ideal for both indoor and outdoor applications. It is also resistant to heat and scratches, making it an excellent material for kitchen countertops, bathroom vanities, and fireplace surrounds.

One of the most striking features of Torento Marble is its unique veining. The stone has a creamy beige background with subtle gold and gray veins, creating a beautiful and natural look. The veins can be thick or thin, and their intensity can vary, giving each slab of Torento Marble a unique and distinctive appearance.

In addition to its natural beauty, Torento Marble is also incredibly versatile. It works well with a wide range of design styles, from classic to contemporary. It can be used for flooring, wall cladding, staircases, and other decorative elements, making it an ideal choice for any project.

At Stone Fort India, you can find Torento Marble at an affordable price without compromising on quality. Their team of experts carefully select the best Torento Marble slabs from Italy to ensure that their customers receive only the best quality products.

In conclusion, Torento Marble is a beautiful and durable natural stone that can add elegance and sophistication to any space. With its unique veining and subtle colors, it is a popular choice for a wide range of applications. If you're looking for high-quality Torento Marble at an affordable price, Stone Fort India is the perfect place to find it. Their team of experts will help you choose the right product to meet your needs and budget.

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05/05/2023

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15/04/2023

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10/04/2023

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लोग बेवफा क्यों हो जाते हैं ? मैने यह भी जाना बेवफाई करके । किसी(तीसरा)की खुशियाँ जब अपनी वजह से दूर होती नजर आए। उसको (...
13/03/2023

लोग बेवफा क्यों हो जाते हैं ?
मैने यह भी जाना बेवफाई करके ।
किसी(तीसरा)की खुशियाँ जब
अपनी वजह से दूर होती नजर आए।
उसको (प्रेमी)किसी और के साथ
खुश देख कर लगता है कि
अब मैं उससे दूर हो सकती हूँ।
हो सकता है वह मुझे
बेवफा कहे पर था वो
उसकी भलाई के लिए ही।
मेरा दिल घुटन महसूस करें
उसे(प्रेमी) किसी(तीसरा) और के साथ
खुश देख कर
इससे अच्छा मैं उसे ही सौंप दूँ।

हाँ मैं बेवफा हूँ ,
पर मैंने ये बेवफाई
खुद के साथ की है।

Ps- कभी-कभी ऐसा पुण्य भी करना चाहिए , हाँ मुश्किल हैं पर नामुमकिन नहीं।

- रंजना कुमारी वैष्णव ✍️

शादी के बाद औरत का औरत होना जरूरी नहीं है उसके लिए जरूरी है एक माँ का  होना। माना एक उम्र होने के बाद शादी करना भी जरूरी...
25/02/2023

शादी के बाद औरत का औरत होना जरूरी नहीं है उसके लिए जरूरी है एक माँ का होना। माना एक उम्र होने के बाद शादी करना भी जरूरी है और शादी के बाद उस औरत का माँ बनना भी जरूरी है। लेकिन अगर नियति ही साथ ना दे तो और अब वो क्या करें? क्या अपने आप का गला घोट दे?
यह कहानी है रमा की, कद काठी में लंबी चौड़ी गठीले शरीर वाली। स्पष्ट वाकपटुता व ज्ञान से परिपूर्ण रमा दिखने में बेहद ही खूबसूरत लगती थी। भले ही रमा श्याम वर्ण की थी, लेकिन उसके गुणों के आगे कभी उसका रंग नहीं आया। परंतु ससुराल जाने के बाद उसे एहसास हुआ कि व्यक्ति के अंदर गुणों के अलावा रंग का गोरा होना भी बहुत जरूरी है। उसने बचपन से आज तक यह तक नहीं सुना था कि तुम काली हो लेकिन ससुराल में अपने पति के द्वारा हजारों बार यह सुनने के बाद कि तुम काली हो, कितनी बदसूरत दिखती हो। रमा को यह बातें दु:ख तो देती थी लेकिन वह हमेशा मुस्कुरा कर मजाक समझ कर टाल देती थी। ऐसा नहीं है कि रमा का पति उससे प्यार नहीं करता था, वो उससे प्यार तो करता था लेकिन यह बात बोलने का मौका वह कभी हाथ से जाने नहीं देता था भले ही मजाक में ही क्यों ना कहे।
रमा को अक्सर तब दु:ख होता था जब वह किसी के सामने कह देता । शादी के काफी साल होने के बाद रमा को अपने अंदर इस कमी के साथ एक और कमी खटकने लगी। किसी बीमारी की वजह से वह माँ नहीं बन पा रही थी। अब उसे अपना जीवन घुटन से भरा महसूस होने लगा। अब मजाक को भी मजाक की नजर से नहीं देख पा रही थी ,उसे मजाक भी अब ऐसे लगता जैसे हर को उस पर तंज कस रहा हो। काले रंग ने उतनी मुश्किलें पैदा नहीं की जितनी बच्चा ना होने की कमी ने कर दी।
खुले विचारों वाली रमा ने सोचा क्या मैं इस धरती पर जन्म लेकर सिर्फ शादी और बच्चे करने के लिए ही तो नहीं आई जो मैं इतना सोच रही हूँ इस मुश्किल के बारे में। क्यों ना मैं पढ़ाई करके अपने जीवन को अच्छे से व्यतीत करूँ। उसने पढ़ाई जारी रखने के लिए अपने पति से कहा कि मुझे ये ये पुस्तके लाकर दे दीजिए, ताकि मैं पढ़ लिखकर कुछ कर सकूँ। जब पति ने यह कहा कि पुस्तकें पढ़ने से बच्चा नहीं होता है। रमा यह सुनकर सन्न रह गई, जैसे किसी ने दुखती रग पर हाथ रख दिया हो। वहीं से संस्कारी औरत सब सपने छोड़कर हर वो कोशिश करती हैं बच्चा पैदा करने लिए(झाङ-फूंक,डाॅक्टर) जहाँ एक पुस्तक के लिए पैसे कम पङ जाते हैं पर बच्चे पैदा करने के लिए लाखों रूपये लगा दिए जाते हैं। पर ऊपरवाले की मर्जी के आगे किसकी चलती हैं।
रमा की स्थिति देखकर लगता हैं कि औरत का शादी के बाद माँ बनना भी जरूरी हैं वरना उसे मानसिक प्रताड़ना के साथ स्वयं से ही नफरत का सामना करना पङता हैं।



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28/01/2023

आज  केरियर डे पर अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए सोचा कुछ लिखु। मैं हिंदी मीडियम सबसे कमजोर स्टूडेंट्स में आती थी और...
12/01/2023

आज केरियर डे पर अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए सोचा कुछ लिखु। मैं हिंदी मीडियम सबसे कमजोर स्टूडेंट्स में आती थी और सच कहूं तो उस वक्त मुझे केरियर का हिंदी मीनिंग भी नहीं मालूम था। पर जैसे ही 12 जनवरी आती तो स्कूल टीचर 1 दिन पहले सबको खबर कर देती कि कल केरियर डे है। और सब को कल चार्ट पर रोजगार से संबंधित कुछ बनाकर लाना है।
उसमें भी एक लिमिटेडसन थी कि 6 से 8 तक के स्टूडेंट्स को कंप्यूटर बनाकर लाना है और 9th 10th के स्टूडेंट को अपनी स्व इच्छानुसार से जो पसंद हो वह बनाकर लाना है। अगर कोई मेरी तरह कंफर्ट के चक्कर में 9वीं क्लाश की होकर कंप्यूटर बना कर ले जाती तो उसका चार्ट उसी वक्त टीचर के द्वारा क्रॉस कर दिया जाता था। जब मैं 9th में थी तब मैंने केरियर डे पर क्रॉस करवा दिया अपने चार्ट पर कंप्यूटर बनाकर लेकिन जब 10th में आई तो सोचा इस बार मुझे क्रॉस नहीं करवाना है। इसी बीच एक बात यह भी बताना चाहती हूँ कि केरियर डे से संबंधित भले ही टीचर काफी लंबा-चौड़ा ज्ञान देती थी स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा कही बातें बताती थी , पर वो सिर्फ आगे की स्टूडेंट्स सुनती थी लेकिन मेरा ध्यान उसमें कभी होता ही नहीं था मैं तो बस यह देखती थी कि सबसे सुंदर चित्र किसका है?
जब 10th क्लास में थी तब केरियर डे के उपलक्ष पर सोचा इस बार कुछ नया बनाकर ले जाती हूँ रोजगार से संबंधित। मैंने मेरे गाँव में रोजगार से संबंधित सिर्फ खेती-बाड़ी ही देखी थी। कंप्यूटर तो स्कूल में देखा था। वह भी इतनी बड़ी स्कूल में सिर्फ एक ही कंप्यूटर होता था उस क्लाश में भी कभी कभार ही जाने का मौका मिलता था उस वक्त कंप्यूटर की क्लास हमें एक जादू की क्लास लगती थी।
मैं इस बार चार्ट पर एक सुंदर सी झोपड़ी उसके किनारे लगे हुए बड़े-बड़े पेड़, नदी, सूर्य पर्वत के पीछे कुछ इस तरह का चित्र बनाकर ले गई। जब स्कूल टीचर ने देखा तो है कुछ समझ नहीं पाई और पूछा कि इससे क्या रोजगार मिलता है तो मैंने कहा, खेती-बाड़ी करके भी तो रोजगार मिलता है तो टीचर को मेरी बात थोड़ी अजीब लगी ना तो वह उसे (चार्ट)क्रॉस कर पाई और ना ही वह उसे गुड दे पाई। क्योंकि इस तरह का चित्र कोई नहीं बना कर ले कर आयी थी और टीचर को भी हर किसी से यह एक्स्पेक्टेशन थी कि वह डॉक्टर, इंजीनियर ऐसे कुछ बने और ऐसे चित्र बनाकर लाए पर यह सब मेरे समझ के परे था। उस वक्त भले ही समझ ना आया पर आज बखूबी समझ आता है।
कैरियर डे एक विद्यार्थी के जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है क्यूंकि कैरियर डे पर बहुत से विद्यार्थी अपने अपने कैरियर की शुरुआत करते है. कैरियर डे कई तरह से मनाया जाता है। कैरियर डे का लक्ष्य छात्रों को अपनी नौकरी पर चर्चा के लिए स्कूल या कॉलेज में सामुदायिक सदस्यों के साथ करियर से परिचित कराना होता है।

आप सबको स्वामी विवेकानंद जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं जिसे हम केरियर डे या युवा दिवस के रूप में मनाते हैं।
- रंजना कुमारी वैष्णव

कल एकसाथ 5 पेपर में स्थान देने के लिए संपादक महोदय का हार्दिक आभार।
29/12/2022

कल एकसाथ 5 पेपर में स्थान देने के लिए संपादक महोदय का हार्दिक आभार।

हम अक्सर यह कहते हुए अपनी महानता दिखाते हैं कि आत्महत्या पाप है और फलाने इंसान ने यह गलत कदम क्यों उठाया, उसको परिवार की...
25/12/2022

हम अक्सर यह कहते हुए अपनी महानता दिखाते हैं कि आत्महत्या पाप है और फलाने इंसान ने यह गलत कदम क्यों उठाया, उसको परिवार की चिंता नहीं आई ? उसने अपनी पीछे की जिंदगीयों के बारे में नहीं सोचा? अब अगर वह यह सब सोचता तो मारना ही क्यों था अपने आप को, जहाँ समझ के परे हो जाए हर परिस्थिति,जहाँ हर तरफ से मायुसी , निराशा, अकेलापन और स्वयं से घृणा हो तभी इंसान हताश होकर इस लौकिक जगत से विदा लेना ही बेहतर समझता है। आपको क्या लगता है कि वह इंसान जो आत्महत्या जैसा पाप करने जा रहा है। अपने परिवार की नहीं सोचता होगा? जबकि उसको तो अपनों का चेहरा याद करके रोना आया होगा कि मेरे को माफ कर देना मैं तुम सबको बहुत बड़े दुख में छोड़कर जा रहा हूँ। उसके सोचने भर में आंसुओं का सैलाब बिखरता है कि उसकी इच्छा के विरुद्ध खुद को मारना पड़ रहा है। सिर्फ स्वयं को इस जगत से हटाने के लिए। सबके लिए यह बहुत ही दुख व सदमें की बात होगी जो कुछ दिन बाद भी रूटीन में आकर सब भूल भी जाएँगे, पर जिसने यह (आत्महत्या) किया उसने कितनी बड़ी हिम्मत जुटाई होगी खुद के साथ गलत करते हुए ।
पर हाँ...उसने यह भी सोचा होगा कि पीछा छूटा हर एक टेंशन से और उन लोगों से जिनको हमेशा यह रहता था कि ऐसा है, वैसा है हजार बातें और उतनी ही लोगों की नफरत । ( कैसे सब के विचार एक पल में प्यार में तब्दील हो जाएँगे) हालांकि आत्महत्या पाप है पर जिस पापी ने यह पाप किया उसके पीछे जो परिस्थितियाँ और भावनाएँ जुड़ी होती है , वह मजबूर करती है उसे यह पाप करने के लिए। यूँ ही कोई खुद की खुशी के लिए खुदकुशी नहीं करता, लोगों की खुशी के लिए यह घातक कदम उठाना पड़ जाता है।
- रंजना कुमारी वैष्णव


सबको अपना बचपन झूमता सा नजर आया मुझे यार संग दोस्ताना छूटता सा नजर आया ।सबने बना ली बचपन को अतीत की छायामैं आवारा दुखी आ...
16/12/2022

सबको अपना बचपन
झूमता सा नजर आया
मुझे यार संग दोस्ताना
छूटता सा नजर आया ।

सबने बना ली बचपन को
अतीत की छाया
मैं आवारा दुखी आजतक
भूल ही ना पाया ।

बचपन याद कर सबको
खूब हँसना आया
पर मेरी आँखो ने याद में
मुझे खूब रुलाया ।

सदा सबने शहरी गीत
गाँव की हवा में है गाया
मैं गाँवप्रेमी शहरो में
बचपन के गीत दोहराया ।

सबने गाँव के अँचल को
जवानी में गंवार ही बताया,
है,गाँव में ठाठ बाट गजब के
मैंने यह खूब समझाया।

- रंजना कुमारी वैष्णव

(रास्ते में शशांक कुछ उदास व कोसते हुए कि  प्यार व्यार सब धोखा ही होता है। सोच कर आँखे भर आती हैं,  जरीना की याद में।)तभ...
17/11/2022

(रास्ते में शशांक कुछ उदास व कोसते हुए कि प्यार व्यार सब धोखा ही होता है। सोच कर आँखे भर आती हैं, जरीना की याद में।)
तभी फोन आता है शशांक अनजान नंबर सोच कर यूं ही टाल देता है। वापस फोन आता देख अंत में उठा लेता है। आवाज सुनकर दिल रोने लगता है, फोन पर जरीना ने बोला - शशांक मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ । चलो , कोर्ट मैरिज कर लेते हैं। मैं तुमको धोखा नहीं दे सकती। तुम्हारा प्यार सच्चा है दिखावटी नहीं। मुझे दिल से तुमसे प्यार है पैसों से नहीं। शशांक की खुशी उस वक्त जो थी शायद बंजर जमीन में फूल खिलने जैसी थी।
शशांक तुरंत जरीना को जगह बताता है और दोनों पहुँच जाते हैं अगले दिन कोर्ट में। कुछ कानूनी कार्यवाही या घर वाले परेशान ना करें। इसलिए पहले से ही कानून की मदद लेकर दोनों शादी कर लेते हैं।
शशांक के घरवाले तो आखिर में मान गए परंतु जरीना के घरवाले अड़े रहे। खैर जो भी है आज दोनों एक नई दुनिया की शुरुआत कर चुके हैं और अपने 1 साल के बेटे के साथ अपनी खुशनुमा जिंदगी जी रहे हैं।

Happy Ending ...

शशांक अब जरीना पर केंद्रित था और जरीना घरवालों पर। किसी रोज शशांक को पता लगा कि जरीना की सगाई पक्की हो गई है जब किसी दिन...
17/11/2022

शशांक अब जरीना पर केंद्रित था और जरीना घरवालों पर। किसी रोज शशांक को पता लगा कि जरीना की सगाई पक्की हो गई है जब किसी दिन दोनों की बात हुई थी, तो ये बात भी क्लियर हो गई। और जरीना फिर से ईद का चाँद बन गई। शशांक घर से दूर संघर्ष भरा जीवन जी रहा था। जरीना के सपने पूरे करने में लगा था और उधर जरीना चुप रहकर शादी की तैयारियों में लगी थी।
शशांक सोच रहा था कि जरीना बेचैन होगी, रो रही होगी, पर किसी दोस्त से पता चला कि वह तो बेगम बनने की तैयारियों में मशगूल है। शशांक को धक्का सा लगा कि वह मुझसे प्यार करती है और किसी और से शादी कैसे कर सकती है? मैंने उसके लिए कितना कुछ सहा घरवालों को छोड़ दिया ।
(शशांक के मन में हजार सवाल के पर जवाब एक ही होना था कि सच्चा प्यार अब इस कलयुग में नहीं होता है। )
यहाँ रिश्ते स्वार्थ से चलते हैं, रूह से कोई किसी पर नहीं मरता , सबको सूरत का आकर्षण लुभाता है । यहाँ भी वहीं था पैसों का आकर्षण।
जरीना के घरवालों ने सक्षम लड़के से रिश्ता तय किया जिस की चकाचौंध में शशांक का प्यार भी फीका पड़ गया। जब आखरी बार शशांक की माँ ने फोन किया बेटे को घर बुलाने के लिए तो शशांक ने मना नहीं किया। बस कुछ शांत स्वर में बोला - सॉरी मॉम , मैं घर आ रहा हूँ। फिर से पढ़ाई कंटिन्यू करके आपके सपने पूरे करूँगा।

To be continue...

शशांक सुबह जरीना के कॉलेज टाइम में घर से बाहर मार्केट जाने के बहाने बाइक लेकर रवाना हुआ और जरीना के पास बाइक रोकते हुए ब...
12/11/2022

शशांक सुबह जरीना के कॉलेज टाइम में घर से बाहर मार्केट जाने के बहाने बाइक लेकर रवाना हुआ और जरीना के पास बाइक रोकते हुए बोला, आपको हम छोड़ आए कॉलेज ? जरीना को कोई आपत्ति ना हुई वह तुरंत बैठ गई।
उसी दरमियान दोनों ने एक दूसरे के नाम व नंबर एक एक्स्चेंज किए व अब सिलसिला कॉलेज के बाहर इंतजार में नहीं फोन पर शुरू हो चुका था।
शशांक का ध्यान अब पूरा टाइम जरीना पर था और उससे कई गुना , जरीना का शशांक पर।
दोनों का इश्क एकदम पाक था। जरीना का उससे बेइंतहा मोहब्बत करना शशांक को और ज्यादा दीवाना बना रहा था। और कहते हैं ना कि जब किसी से इश्क हो तो फिर उसके लिए बिना कुछ अच्छा नहीं लगता।
कुछ ऐसा ही हाल शशांक का था। अब उसका मन पढ़ाई में भी नहीं लगता। जब तक जरीना से एक बार मिल ना ले।
परंतु रोज-रोज की मुलाकातों से मोहल्ले वाले रूबरू ना हो? यह तो हो ही नहीं सकता।
धीरे-धीरे लोगों में कानाफूसी होने लगी और बात दोनों के घर पर दस्तक दे चुकी थी। दोनों के परिवारों के बीच आपसी मतभेद शुरू हो गया। यहाँ मुख्य बात धर्म पर अटकी हुई थी। इस बात से मुस्लिम परिवार हिंदू को कतई पसंद नहीं करते तो हिंदू भी कहाँ मुस्लिम को करते। जरीना का शशांक से बातचीत कम होते होते बंद होने की कगार पर पहुँच गया, जरीना की सगाई की बातें चलने लगी। शशांक को जैसे ही पता लगा, वह बर्दाश्त ही नहीं कर पाया। यही हाल जरीना का था। रोना-धोना , घरवालों से मिन्नते, मरने की धमकी, पर किसी को क्या फर्क पड़ता। कुछ दिन बाद बातें आम हो जानी थी, इसलिए कोई भी उन्हें सीरियस नहीं ले रहे थे। to be continue...

जरीना ने शशांक की माँ को फोन पर बताया कि वह अपनी जान दे देगी अगर उसकी शादी शशांक से नहीं करवाई तो?  शशांक की माँ ने कहा-...
12/11/2022

जरीना ने शशांक की माँ को फोन पर बताया कि वह अपनी जान दे देगी अगर उसकी शादी शशांक से नहीं करवाई तो? शशांक की माँ ने कहा- हाँ ठीक है! दे दो ।
(और फोन काट दिया।)
उधर जरीना का घर से निकलना बंद हो गया था। शशांक के परिवार का माहौल बिगड़ता चला गया। वह सब को मनाने में लगा था पर किसी को मुस्लिम धर्म स्वीकार नहीं था। कौन आफत मोल लेना चाहेगा? देश में गर्मा गर्मी का माहौल पहले से क्या कम है क्या?
काफी दिनों नजरबंद रहने के बाद एक दिन इत्तेफाक से शशांक को जरीना का दीदार हुआ। वह उसके पीछे पीछे गया तो देखा वह किसी कंप्यूटर सेंटर पर जाती है।
उसने एक दिन इंतजार करके मिलने की कोशिश की तब थोड़ी सी बातचीत में जरीना ने बताया कि सगाई हो गई है , फोन अब मेरे पास नहीं रहता। अम्मी के पास ही रहता है। मैं तुमसे प्यार करती हूँ। तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। कह कर चली जाती है। अब छुपन छुपाई वाली मुलाकात हुई वो भी एक दो बार ।
जरीना अक्सर कहती- तुम मुझे सबसे दूर कहीं ले चलो।
शशांक काफी सोच-विचार करके सोचा कुछ भी काम कर लूंगा और जरीना को ले जाऊँगा। उसने घरवालों से साफ कह दिया कि अगर जरीना से शादी नहीं करवा सकते तो ठीक है। मैं ही घर छोड़कर चला जाता हूँ और एक वक्त ऐसा भी आया कि वह घर से दूर अलग रहने लगा। परिवार के लिए यह एकसदमा था। माँ ने बहुत समझाया पर प्यार का भूत कहाँ समझने देता है।

बेटा घर आजा वापस तेरे बिना घर सूना सूना लगता है। तू एक ही तो है हमारे बुढ़ापे का सहारा और तू ही हमसे रूठ कर चला गया।(माँ...
27/10/2022

बेटा घर आजा वापस तेरे बिना घर सूना सूना लगता है। तू एक ही तो है हमारे बुढ़ापे का सहारा और तू ही हमसे रूठ कर चला गया।
(माँ सुबकते हुए फोन पर शशांक को समझाती है पर शशापरेशान गुस्से में...)
माँ तुम कभी मेरी फिलिंग को नहीं समझती और ना ही पापा , मैं अकेले इस दुनिया से और आपके मोस्ट इंपोर्टेंट दो कौड़ी के समाज से लड़ लूँगा।
पर वापस घर नहीं आऊँगा और उस दिन आप फोन पर मौसी से जो बात कर रही थी, मैंने रिकॉर्ड मोड ऑन कर दिया और सब सुन लिया ,आप कभी मेरी खुशी नहीं चाहती।
(कहते हुए शशांक ने फोन काट दिया, आंखें भर आई थी और अपने बीते दिनों को याद करने लगा।)
शशांक अंगड़ाईयाँ लेते हुए बालकनी की तरफ आता है और शायद पढ़ते हुए थकान महसूस करने लगा। दरअसल, वह गवर्नमेंट जॉब प्रिपरेशन में लगा हुआ रात दिन मेहनत करता है और उस दिन पहली बार वह बालकनी में आया। उसकी अंगड़ाईयाँ एकटक रुक गई जब उसकी नजर जरीना पर पड़ी। दुपट्टे में मुँह छुपा हुआ था पर दूर से आँखें दोनों की मिल चुकी थी।
पहली नजर में ही जरीना से शशांक पर फिदा हो चुकी थी। शशांक को भी उसकी(जरीना) आँखों का शरारतीपन से शर्माना भाग गया था। जरीना का घर कुछ दूरी पर ही था। रोज वह कॉलेज उसी रास्ते से जाती थी। शशांक ने टाइम नोट कर लिया। जैसे ही जरीना के आने का समय होता वह बालकनी में खड़ा हो जाता। रोज आंखों से दीदार होता किसी रोज शशांक ने सोचा क्यों ना मैं जरीना को कॉलेज तक लिफ्ट दे दू?
To be continue ...


कई घरों की सुखद... सवेर नहीं होती। रिश्तों की समझाइश से... इंसानियत बैर नहीं होती।अनसुनी बातों की... दूरियों में देर नही...
11/10/2022

कई घरों की
सुखद...
सवेर नहीं होती।
रिश्तों की
समझाइश से...
इंसानियत बैर नहीं होती।
अनसुनी
बातों की...
दूरियों में देर नहीं होती।
परिवारिक रंजिश की
शिकार..
औरत गैर नहीं होती
हर घर में
शक्ति की सुनवाई...
खैर नहीं होती।
उग्रता में निकल जाते हैं
निरर्थक शब्द...
इससे सोच कभी
जहर नहीं होती।
हाथापाई में
जड़ सकती है तमाचे वह भी
पर इतनी क्रूर...
खैर वो नही होती।
- रंजना कुमारी वैष्णव

01/09/2022

Jai shree krishna 🙏

22/08/2022

Jai shree krishna

I've just reached 4K followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏🤗...
20/08/2022

I've just reached 4K followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏🤗🎉

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