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01/09/2022
01/09/2022
28/08/2022

आज के दिन पहली बार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश श्री दरबार साहिब, अंम्रितसर साहिब में किया गया, गुरु ग्रंथ साहिब का उस वक़्त नाम आद ग्रंथ साहिब था, उन्हें सिंहासन पर बैठाया गया, और उस दिन पहली बार आद ग्रंथ साहिब को खुल कर पढ़ा गया, पहली बार हुक्मनामा बाबा बुड्ढा जी द्वारा लिया गया, और संगत जी, उस दिन से आज तक वैसे ही गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश श्री दरबार साहिब (हरमंदिर साहिब) में हर रोज किया जाता है, उनकी वाणी को पढ़ा जाता है, गाया जाता है, मैं आप सभी को इस पावन दिवस की बधाई देता हूँ I

धन धन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी महाराज

Video On Pehla Parkash Divas - https://youtu.be/cTBr-QCDYNk

26/07/2022

इस जगत में करोड़ों जीव है, करोड़ों ब्रह्माण्ड हैं, लेकिन यह सब बने केवल एक ही एटम से हैं, पर फिर भी सब अलग है, कोई एक दूसरे से मेल नहीं खाता I यह रब ने बहुत ही कमाल की कुदरत बनाई है, कि उसने खुद से ही सब को बनाया, सभी को जिन्दा रखने के लिए अपने साँसे दी, ज्योति दी, वह हर जगह हर किसी में मौजूद है, पर सब में होते हुए भी वह गुप्त है, जैसे कि गुरु साहिब फरमाते हैं कि

ਜਹ ਜਹ ਦੇਖਾ ਤਹ ਜੋਤਿ ਤੁਮਾਰੀ ਤੇਰਾ ਰੂਪੁ ਕਿਨੇਹਾ ॥
जह जह देखा तह जोति तुमारी तेरा रूपु किनेहा ॥

Wherever I look, there I see Your Light, but what is Your form? मैं यहाँ देखा हूँ, उसी की ज्योति को सब में विद्यमान देखता हूँ, और मैं यह देख कर हैरान हूँ कि ऐ मेरे मालिक यह तेरा कैसा रूप है, तू सब में है, मगर फिर भी किसी को खबर नहीं I

ਇਕਤੁ ਰੂਪਿ ਫਿਰਹਿ ਪਰਛੰਨਾ ਕੋਇ ਨ ਕਿਸ ਹੀ ਜੇਹਾ ॥੨॥
इकतु रूपि फिरहि परछंना कोइ न किस ही जेहा ॥२॥

You have one form, but it is unseen; there is none like any other. हे प्रभु तेरा एक ही रूप कितना विलक्ष्ण है और तू गुप्त तौर पर सबमें भ्रमण करता है। और तेरी रचना भी अद्भुत है, जिसमें कोई भी जीव किसी दूसरे जैसा नहीं, एक पत्ता भी दूसरे पत्ते जैसे नहीं, यह कैसे एक ही ज्योति से तुमने अनेको रूपों को बना दिया।२ ।

धन धन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी महाराज 596

09/06/2022

गुरबाणी में बहुत बार आया है कि मन का सबसे बड़ा सुख है, अकाल-पुरख को याद रखना और उसे भूल जाना, यही मन का सबसे बड़ा दुख है, क्योंकि उसे भुलाते ही, मन विकारों के जाल में फंस जाता है, इसलिए मन को यही प्रार्थना करनी चाहिए के हे गुरू, मुझे यह समझ दो, ऐसा ज्ञान दो कि जिससे मैं उसे कभी न भूलूं, किसे, जो सभी का दाता है, जो सब कुछ बनाने वाला है, जो हरेक में बसा है, गुरू साहिब उपदेश करते हैं कि

Gurbani
ਗੁਰਾ ਇਕ ਦੇਹਿ ਬੁਝਾਈ ॥ ਸਭਨਾ ਜੀਆ ਕਾ ਇਕੁ ਦਾਤਾ ਸੋ ਮੈ ਵਿਸਰਿ ਨ ਜਾਈ ॥੫॥

Gurbani in Hindi
गुरा इक देहि बुझाई ॥ सभना जीआ का इकु दाता सो मै विसरि न जाई ॥५॥

Hindi Meaning
हे सच्चे गुरु ! मुझे सिर्फ यही समझ दो कि समस्त जीवों का जो एकमात्र दाता है मैं उसे कभी भी भूल न पाऊं ॥ ५॥

English Meaning
O Guru please give me this one understanding, that the One beneficent Master source of all living beings; may I never forget IT.

धन धन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी महाराज 5 #जपजीसाहिब

08/06/2022

दुनिया की सबसे बड़ी जंग अपने आप से होती है, हर कोई अपने आप से लड़ता है, पर जो गुरु का सहारा ले लेता है, वह जीत हासिल कर लेता है, गुरु साहिब फरमाते हैं कि मन अपने अंदर के दुश्मन अहंकार को, अहंत्व को गुरु की विचार द्वारा स्वयं ही खा जाता है

Gurbani
ਆਪੈ ਨੋ ਆਪੁ ਖਾਇ ਮਨੁ ਨਿਰਮਲੁ ਹੋਵੈ ਗੁਰ ਸਬਦੀ ਵੀਚਾਰੁ ॥

Gurbani in Hindi
आपै नो आपु खाइ मनु निरमलु होवै गुर सबदी वीचारु ॥

Hindi Meaning
जब मन गुरु के शब्द को विचार कर अपने अहंत्व को स्वयं ही नष्ट कर देता है तो वह निर्मल हो जाता है, वह अपने भीतर ही परमात्मा की ज्योति को पहचान लेता है ।

English Meaning
When one reflects on teachings of the Guru, the self eats the self, i.e. ego is dissolved within, the mind becomes and God is recognized within.

मन की मैल, गंदगी, बैरी हमारे बुरे विचार, विकार होते हैं, जब यह गुरू की वाणी द्वारा मन से दूर होते हैं तो मन निरमल हो जाता है, वह खुद को भी जाना पाता है, और अपने भीतर बसने वाले को भी ।

धन धन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी महाराज 86 राग सिरीराग, सिरीराग की वार #महलातीजा

07/06/2022
07/06/2022

जितना ज्यादा जरूरी गुरबाणी को पढ़ना, सुनना और समझना है, उससे भी ज्यादा जरूरी है, गुरबाणी में रंगना, जब मन गुरु के उपदेशों में, परमात्मा के प्रेम रंग में रंगता है, तब उसकी पाप विकारों वाली बुद्धि साफ़ हो जाती है, गुरु साहिब फरमाते हैं कि


ਭਰੀਐ ਮਤਿ ਪਾਪਾ ਕੈ ਸੰਗਿ ॥ ਓਹੁ ਧੋਪੈ ਨਾਵੈ ਕੈ ਰੰਗਿ ॥


भरीऐ मति पापा कै संगि ॥ ओहु धोपै नावै कै रंगि ॥

Hindi Meaning
यदि बुद्धि पापों से मलीन हो जाए, तो वह पाप अकाल-पुरख के नाम में प्यार करने से ही धोया जा सकता है।

English Meaning
But when the intellect is stained and polluted by sin, that is cleansed with love and obedience to Naam/Divine commands, with the Guidance of Gurbani.

नाम है उसके गुण, जो गुरबाणी में बसे हैं, जब गुरू की वाणी को प्रेम से पढ़ा जाए, मन में बसाया जाए तो नाम मन में बसता है, भाव मन गुण धारण करता है, और यह गुण ही, नाम ही, मन को पापों से मुक्त करता है ।

धन धन श्री गुरू ग्रंथ साहिब 4 #जपजीसाहिब

27/05/2022

जो बच्चे बड़े होकर माँ-बाप का सत्कार ना करें, उन्हें कड़वे बोल बोले, उनकी हर बात को काट दें तो देखने वाला कहता है कि यह बच्चे कितने बुरे हैं, जिन्हें अपने ही माँ-बाप की कद्र नहीं, ऐसे ही गुरू साहिब फरमाते हैं कि जो अपने गुरू की बात नहीं मानते, गुरू के पास आते तो हैं, पर जो कहा है, उसपर अमल नहीं करते, या गुरू को छोड़ और अन्य द्वारों पर भटकते हैं, उनसे बुरा और कौन हो सकता है, जिन्होंनें अपने ही गुरू की कद्र नहीं की, जो गुरू की बात सुनने से इनकारी हैं, उनके बारे में गुरू साहिब फरमाते हैं कि


ਜਿਨਾ ਗੁਰੁ ਗੋਪਿਆ ਆਪਣਾ ਤੇ ਨਰ ਬੁਰਿਆਰੀ ॥


जिना गुरु गोपिआ आपणा ते नर बुरिआरी ॥


जिन्होंने अपने गुरु का तिरस्कार किया है, वे बहुत बुरे हैं।

(गोपिआ का भाव है, इनकारी होना या छुपाना)

संगत जी गुरू से जुड़े हैं तो गुरू की बात को सुने, उसे समझे, जगह जगह भटकने से कोई लाभ नहीं, बल्कि अपना ही नुक्सान है ।

धन धन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी महाराज 651 #

20/05/2022
07/05/2022

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