05/04/2021
*शादी के सीजन शुरू होने वाले है जो की 21 अप्रैल से लेकर 18 जून तक है*
*इसके बाद सहमति बनी कि सार्वजनिक आयोजन को लेकर गाइड लाइन का पालन किया जाएगा, लेकिन शादी के सीजन में बंद का समर्थन नहीं करेंगे। आल इंडिया से सीधे 10करोड़ से ज्यादा सदस्य इस लाइन से जुड़े हैं। इससे करीब 20 करोड़ से ज्यादा परिवार के लोग शामिल हैं।* *इस साल 21 अप्रैल से 18 जून तक शादी का सीजन रहेगा। इस दौरान किसी तरह का बंद नहीं होने देंगे।* *शादी-विवाह, गार्डन में पार्टी पर रोक के विरोध में केटरिंग, गार्डन, हलवाई, टेंट लाईट फ्लावर वेटर, डीजे, आर्केस्ट्रा सहित इवेंट ने एक स्वर कहा ही की अप्रैल माह से शुरू हो रहे शादी-विवाह सीजन में किसी भी प्रकार की रोक को बर्दास्त नही करेगे सब एक जुट हो कर इसका विरोध करेंगे*
*केटरिंग एवम इवेंट्स पर, शासन की गाइडलाइन के अनुसार जो भी कार्यक्रम बुकिंग हो चुके हैं या जो भी होंगे उन कार्यक्रमों को हर हाल में पूरा करेंगे। यदि इस पर किसी कानून को थोपने की कोशिश की गई तो कई लोग कर्जो से मरेंगे तो कई लोग भुखमरी से मार जायेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।* *क्या कभी शासन प्रशासन ने हम लोगो की और ध्यान नहीं दिया क्यों ? क्या हम पुस्तेनी जयजादा लेकर बैठे है क्या हम किसी की लूट मार करते है क्या हमारी कोई बेइमानी मक्कारी की कमाई है नहीं है, फिर हमारी और ध्यान क्यों नही,*
*क्यों कलाकारो को इवेंट्स बालो को या इस प्रकार की सेवा कर रोज़ी रोटी कमाने वाले किसी भी व्यक्तियों की कोई भी मदत नहीं की है सरकार ने, क्यों*
*हमने भी टैक्स दिया देते बिजली का बिल दिया देते हे हर प्रकार का टैक्स देते हे और तो और अब तो कमर तोड़ दी है रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ाकर गैस के खाने वाले तेल के दूध के अनाज के डीजल पैट्रोल के सबके दाम आसमान छू रहे है हम कलाकारो की हम इवेंट्स वाले हम केटरिंग लाइट टेंट और इनसे जुड़े लाखो करोड़ों लोगो की करोना में तक कोई मदद नहीं की सरकार ने,क्या सरकार एक दम गरीब या एक दम अमीरों की हे हमारे लिए नहीं, हम सामान्य रूप से जीवन बसर करने वाले लोगों की हर तरफ से मरण,जाग जाओ जरा ध्यान करो हम न रहे तो तुम सबकी शान कोन बढ़ाएगा, कोन साज सज्जा करेगा, कोन आपकी खुशियों में चारचांद लगाएगा , हमसे ही शान है, हम कलाकर नही रहे तो सारा शहर सारा प्रदेश शमशान घाट की तरह हो जाएगा, जाग जाए समय रहते, हमारा भी ख्याल रखना होगा। जय हिंद जय भारत वंदेमातरम *हम लोगो की त्रासदी कोई नही समझ पा रहा है न शासन न प्रशासन...*
*मैं अपने सभी भाईयो की व्यथा से अवगत कराना चाहूंगा कि पिछले वर्ष हमने सरकार को हर मुद्दे पर सहयोग किया। 78 दिन के लंबे लॉकडाउन को भी हमने निभाया, हमारे संपूर्ण कार्यक्रम बंद होने के बावजूद हमने मकान के किराए भरे, बिजली बिल अदा किए, टैक्स भरे, जीसटी भरी, बैंक की किश्ते भरी, हमारे अधीनस्थ कर्मचारियों के परिवार भूखे न रहे इसलिए हमने कर्ज लेकर भी उन्हें आर्थिक सहारा दिया किंतु सरकार ने हमें क्या दिया? पेनल्टी, मास्क नही तो पेनल्टी, सोशल डिस्टेन्स नही तो पेनल्टी, सेनेटाइजर नही तो पेनल्टी, प्रशासन द्वारा एहतियात की सख्ती के नाम पर सिर्फ और सिर्फ वसूली का ही धंधा किया और हमने लॉकडाउन की गहरी मार झेलने के बाद भी सेवाभावी संस्थाओं के माध्यम से दिन रात मेहनत कर कोरोना की भयावहता को नजरअंदाज कर जान की परवाह न करते हुए जरूरतमंदों को तीनो समय का भोजन मुहैया करवाया जनता को महामारी से बचाने अपने घर से बाहर आकर शासन प्रशासन की मदद की*
*जो सरकारी अधिकारी, कर्मचारी पैसे वसूलने में मस्त थे उन्हें ये भी समझ नही आ रहा था कि इतने बड़े लॉकडाउन के बाद हम सबकी हालत क्या है? दंडित करने आये कर्मचारियों से बात करने पर बड़े अधिकारियों का वास्ता देकर लूट खसोट मचा रहे थे ये... देश, शहर, गांव -कस्बे में कोई भी भूखा न रहे ये सरकार की जवाबदारी होती है... सरकार को उन अधिकारियों व कर्मचारियों की एक- दो माह की पगार न देकर गरीब व जरूरतमंद लोगों के लिए अनाज व भोजन पानी की व्यवस्था करनी चाहिये थी मगर हुआ उसका ठीक उल्टा, बेचारे भाईयों ने 78 दिनों के लॉकडाउन में काम बंद होते हुये भी जरूरतमंद लोगों को सहयोग किया पर बदले में उन्हें क्या मिला और आज उन्हें क्या मिल रहा है? वही अधिकारी, कर्मचारी पूरी पगार लेकर बारात घर के चालान फाड़ते फिर रहे है केस बनाते फिर रहे है जैसे कि कोरोना केवल कलाकार इवेंट्स समुदाय से ही आ रहा है और अब फिर से कर्फ्यू एवं नये नये प्रतिबंधों से व्यापार का मटियामेट होता दिख रहा है। एक बात ध्यान में रखना कि हम सब लोग बहुत ही सहनशीलता दिखा रहे है, इसे उनकी कमजोरी न समझो। जब एकजुट होकर मैदान में उतरेंगे तब ऐसा भूचाल आएगा कि शासन - प्रशासन का सिंहासन डोलने लगेगा. सभी कलाकर साउंड वाले टेंट वाले एक होइए नही तो भूखे मरने के लिए तैयार रहिये अपना घर फुक के उजाला देखिये छोड़िये एक दूसरे का टाँग खींचना एक हो जाइये भाइयो सभी एक से बढ़कर एक कलाकार हैं टेंट वाले केटरिंग वाले है साउंड वाले है क्यों अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने को बेताब है बन्द कीजिये अब एकता दिखाइए दीजिये मुँहतोड़ जवाब*
*हम सब बंधुओ की ये व्यथा मैसेज द्वारा अधिक से अधिक भेजे ताकि ऊपर तक बैठे शासन प्रशासन के कानों तक पहुचे। टैंट लाईट - साऊन्ड, इवेंट, केटर्स, बैंड एकता*
जनहित में जारी
*जय हिंद| जय भारत|*
*धन्यवाद* 🙏🙏🙏🙏