नमस्कार दर्शकों रंग संघ की प्रस्तुति "नेफा की एक शाम" जिसकी पेशकश ६अक्टूबर को यमुना नगर में होने जा रही है।।
उसकी एक छोटी सी झलक
रंग संघ थिएटर
पाठ्यक्रम विस्तार
First Tool-आवाज़(VOICE)-
×प्राण वायु सन्तुलन,नाड़ी ध्यान(Breath,Breath Meditation),
× स्वर(Sound,Sound Modulations),
×व्यंजन(Consonant),प्राण,अल्प प्राण,महाप्राण,घोष,अघोष व्यंजन,
×हिंदी पाठन(Speech)
×भाषा विज्ञान(Basic Linguistics)
×एकांत दृश्य(Monologue)
Second Tool-अंग(Body)-
×योगासन,
×आरम्भिक युद्ध कला (Fight),
×चाल, (Body Walk, Movement)
×पशु चलन(Animal, Walk)
×आवाज़ से संयोग(Coordination)
×भाव से संयोग(Emotional Body Approach)
Third-आहार्यम(Make-Up and Costume)
चरित्रानुसार
और समय,देश और कालानुसार
Make up
और
Costume
Fourth Tool-भाव और रस-
×नौ रस
और
×आठ स्थाई, तैतींस संचारी भाव तथा आठ सात्विक भाव
(Detailed Study of Moods and Emotions through Natya Shastra)
यह प्रशिक्षण नाट्य विधा को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।इस प्रशिक्षण से आप अभिनय,लेखन, निर्देशन, शिक्षण,Voice Over, Anchor और फ़िल्म क्षेत्र में काम कर सकते हैं।
ओ३म्
जिस गुरु ने लेना सीख लिया वह गुरु ही कैसा...??
सर्वप्रथम, गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, हम उन अंसख्य गुरुओं को नमन करते है, जिनके हृदय में राष्ट्र धड़कता था, राष्ट्र धड़कता है। जिन्होंने अपने प्रयासों से राष्ट्र के प्रति सम्मान और राष्ट्र के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावनाओं को अपने शिष्यों में संचार किया।
हम नमन करते है उन महान ऋषियों की परम्परा को जीवित रखनेवाले स्वामी विरजानन्द, स्वामी दयानन्द सरस्वती, आदिगुरु शंकराचार्य जैसे ऋषियों का, जिन्होंने भारत में राष्ट्रीयता व आध्यात्मिकता के बीज बोए, तथा दूसरे देशों में भी भारत की पताका को लहराया।
नमन कबीर, तुलसी, नानक, रविदास, बुद्ध, महावीर जैसे महान गुरुओं का, जिनका आज विकल्प कहीं ढूंढने को नहीं मिलता, जो कल भी थे और आज भी जीवित है।
कहा भी जाता है – कीर्तियस्य स जीवति।
भारत इन्हीं जैसे ऋषियों के जन्मभूमि और कर्मभूमि का नाम है, जिन्होंने राष्ट्र को दिया, लिया नहीं। ये ही भारत के सच्चे गुरु कहलाने के अधिकारी है, दूसरा कोई हो भी नही सकता।
हम नमन करते है, उन महान आध्यात्मिक गुरुओं जैसे वशिष्ठ, विश्वामित्र, महृषि वाल्मिकी, अगस्त्य, भृगु, पराशर, धौम्य, संदीपनि, भास्कराचार्य, कणाद, चरक, चाणक्य आदि महान आत्माओं को जिनके कारण ही भारत की कीर्ति दूर-दूर तक फैली है।
कौन है गुरु, गुरु कौन हो सकता है?
स्पष्ट है – जो अपने शिष्यों के अंदर बैठे अंधकार को प्रकाश से भर दें, वह सच्चा गुरु है।
गुरु सिर्फ देता है, लेता नहीं...😊
गुरु दीपक के समान होता है, जैसे दीपक सिर्फ प्रकाश फैलाता है, ठीक उसी प्रकार गुरु अपने शिष्यों के अंदर छुपी अज्ञानता को निर्मल भाव से दूर करने का प्रयास करता है, उससे कुछ लेता नहीं, बल्कि निरंतर देता रहता है। क्या कोई बता सकता है कि गंगा किससे क्या लेती है? वृक्ष किससे क्या लेता है?
वह तो सिर्फ और सिर्फ देना जानता है। जिस गुरु ने लेना सीख लिया, वह गुरु कैसा? वह तो उसी दिन खत्म हो गया, जब उसके मन में लेने का भाव जाग गया।
◆आजकल हम देखतें हैं इस शब्द का जमकर दुरुपयोग किया जाता हैं....◆◆◆◆◆
◆◆गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।◆◆
◆◆गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।◆◆
गुरु कहता है कि गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही शंकर है, गुरु साक्षात् परब्रह्म है, इसलिए गुरुओं को नमस्
We Come,Not To Mourn Our Dead Soldiers,But To Praise Them..
OPENING CEREMONY OF OUR NEW STUDIO IN MADH ISLAND 💓
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मस्त मौला नाटक की पहली झलक ।।
Our first venture for haryana kala parishad and gurugram sanskritik gaurav samiti