09/07/2023
"वर्सोवा मेट्रो स्टेशन पहुंचकर जब मैंने अपना फ़ोन निकालने के लिए बैग में हाथ डालाा, तो उसमें मेरा फ़ोन था ही नहीं। मैं वर्सोवा जेटी से मेट्रो स्टेशन तक एक शेयरिंग ऑटो रिक्शा में आई थी। मुझे पता था कि ऑटो वाले ने ऑटो स्टैंड जाने के लिए अब तक यू-टर्न ले लिया होगा और वहाँ से निकल गया होगा। फिर भी मैं थोड़ी उम्मीद लिए जल्दी-जल्दी ऑटो स्टैंड पर वापस गई, सोचा शायद वह अभी भी वहाँ होगा! और वह था।
मैंने उसे नहीं पहचाना, लेकिन उसने मुझे पहचान लिया। "आप शायद मेरे रिक्शा में आये थे मैडम..." वहां मौजूद चार रिक्शा वालों में से एक ने कहा। मैंने उनको फ़ोन के बारे में बताया तो उन्होंने अपने ऑटो में चेक किया पर ऑटो में फ़ोन नहीं था। फिर मैंने उसके फ़ोन से अपना नंबर मिलाया। तब तक स्टैंड पर खड़े कुछ और ड्राइवर भी वहां आ चुके थे। उन सबने भी मदद के लिए अपने फ़ोन से मेरे नंबर पर कॉल करना शुरू किया लेकिन मेरा फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था। सब कोशिश करते रहे और थोड़ी देर बाद मेरे फोन पर रिंग गई! लेकिन किसी ने नहीं उठाया! 6-7 रिक्शा वाले बारी-बारी से कॉल करते रहे। फ़ोन बजता रहा, लेकिन किसी ने नहीं उठाया। मैंने निलेश, जिनके ऑटो से मैं आई थी, उससे वापस जेटी तक छोड़ने के लिए कहा, ताकि मैं घर जा सकूँ।
वापस जाते समय मैं बहुत दुखी थी। निलेश ने मुझे छोड़ने के बाद पूछा कि क्या मेरे पास कोई दूसरा नंबर है ताकि कुछ पता चलने पर वह मुझे कॉल कर सके। लेकिन मेरे पास नहीं था, इसलिए मैंने उससे एक कागज पर अपना नंबर लिखकर मुझे देने को कहा। निलेश ने मुझे नंबर दिया और मैं उसको शुक्रिया कह जेटी की ओर चल पड़ी। थोड़ा आगे बढ़ी ही थी कि पीछे से निलेश की आवाज़ आई, "मैडम, मैडम!".. उसने कहा कि प्रकाश (स्टैंड पर मिला दूसरा ऑटो ड्राइवर) ने हमारे जाने के बाद भी फोन करना जारी रखा था, राहुल कुमार नाम के लड़के ने उठाया था! उसने हमें बताया कि वह डीएन नगर मेट्रो स्टेशन के पास है।
ये जानकार मैं फिर ऑटो से डीएन नगर मेट्रो स्टेशन के पास पहुँची और प्रकाश के नंबर से ही अपने फोन पर कॉल किया... राहुल ने तीन रिंग के बाद फोन उठाया और हमें आजाद नगर मेट्रो स्टेशन आने के लिए कहा। प्रकाश ने बताया कि वह एक फ़ूड डिलीवरी पर्सन है इसलिए उसको उधर जाना पड़ा। हम भी फटाफट आजाद नगर मेट्रो स्टेशन पहुंचे और थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद साइकिल पर, अपनी डिलीवर यूनिफार्म और ऊपर से प्लास्टिक रेनकोट पहने राहुल कुमार वहां आया। उसने मेरा फोन अपनी जेब से निकाला और मुझे वापस कर दिया किया। तब जाकर मैंने राहत की सांस ली। राहुल को मेरा फोन वर्सोवा मेट्रो स्टेशन के पास पड़ा मिला था; जो शायद ऑटो से उतरते समय गिर गया होगा। राहुल कुमार के इस काम के लिए मैं उनको जितना धन्यवाद दूं, कम है। मैं उनकी की ईमानदारी को सलाम करती हूँ।
- historwali | Twitter