B.J Caterers & Catering by Jawarimal Bansi Maharaj

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B.J Caterers & Catering by Jawarimal Bansi Maharaj Rajasthani!!! Gujrati!!! Maharashtrian !!! Italian !!! South Indian !!! Punjabi !!! Chinese !!! Pure Veg Catering Service

प्यार का मतलब शरीर कभी नहीं होता, वो आत्मा से होता हैं, जैसे भरतजी को श्रीराम जी से था।               🙏 " जय श्री राम " ...
01/03/2024

प्यार का मतलब शरीर कभी नहीं होता, वो आत्मा से होता हैं, जैसे भरतजी को श्रीराम जी से था।

🙏 " जय श्री राम " 🙏

25/02/2024

मकर राशि(मार्च 2024 से 2025) 1 वर्ष में भविष्य का फैसला ! उतरती साढेसाती बनाएगा करोड़पति!Makar rashi # MakarRashi ...

25/02/2024
श्री जसनाथ जी महराज के माघ माह मेले की हार्दिक शुभकामनाएं पांचलासिद्धा नागौर राजस्थान सुप्रभात: राम राम सा ग्रमीण देवता ...
16/02/2024

श्री जसनाथ जी महराज के माघ माह मेले की हार्दिक शुभकामनाएं पांचलासिद्धा नागौर राजस्थान सुप्रभात: राम राम सा ग्रमीण देवता को आदेश महाराज श्री १००८ जसनाथजी महाराज की जय हो 🙏🙏❤️✅

सुदिनं सुदिनं जन्मदिनं,तव भवतु मङ्गलं जन्मदिनम् ।।चिरञ्जीव कुरु कीर्तिवर्धनम् ।चिरञ्जीव करु पुण्यवर्धनम् ।।विजयी भव सर्व...
08/02/2024

सुदिनं सुदिनं जन्मदिनं,तव भवतु मङ्गलं जन्मदिनम् ।।
चिरञ्जीव कुरु कीर्तिवर्धनम् ।
चिरञ्जीव करु पुण्यवर्धनम् ।।
विजयी भव सर्वत्र सर्वदा ।
जगती भवतु तव सुयशोगानम् ।।
दिव्यता और ज्ञान के प्रकाश, परम पूज्य स्वामी श्रीगोविन्ददेव गिरिजी महाराज जी के 75वें जन्मोत्सव की अमृत बेला पर उनका चिरंजीवी पूजन अलौकिक सौंदर्यता से पूर्ण था।
पूज्य श्री स्वामीजी गोविंदगिरी जी के अवतरण दिवस पर सादर प्रणाम बी जे कैटर्स एंड कैटरिंग पुणे शहर 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏GeetaBhaktiAmritMahotsav

08/02/2024
रामजी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद की सबसे पहली तस्वीर🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩राम रमे हिरदय त्रिपुरारी, महक उठे तन मन फुलवारी।चले धनु...
22/01/2024

रामजी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद की सबसे पहली तस्वीर🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
राम रमे हिरदय त्रिपुरारी, महक उठे तन मन फुलवारी।
चले धनुष ले राम अवधेसा, अयोध्या जगमग भयो विशेषा ।।

अब तोर पखारू पांव मैं, नयन नीर जस गंगा पानी।
शब्दन से कुछ सूझे ना, सुन हृदय की अंतर्यामी।।

🫴🌸श्रीरामजी को समर्पित 🌸
बी जे कैटर्स एंड कैटरिंग पुणे शहर

16/01/2024
श्री हनुमान जी का यह शाबर मंत्र बहुत ही सिद्ध और तुरंत असर करने वाला मंत्र  है ! आप पर किसी प्रकार का संकट या बाधा आई हो...
11/01/2024

श्री हनुमान जी का यह शाबर मंत्र बहुत ही सिद्ध और तुरंत असर करने वाला मंत्र है ! आप पर किसी प्रकार का संकट या बाधा आई हो . कर्ज का कारण या लड़ाई झगड़ा होने वाला हो. भूत प्रेत की बाधा आई हो. प्राण संकट मैं हो. शरीर बीमारियों से ग्रस्त हो तो निम्न मंत्र का 21 बार उच्चारण करते हुए ताली बजाकर अपने शरीर पर फूंक मारे इस प्रकार करने से हर प्रकार का भय दूर होता है !

मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ नमो वज्र का कोठा जिसमें पिंड हमारा पैठा । ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला मेरे आठो याम का याति , हनुमंत रखवाला ।।

हमारे गुरु शिक्षण संस्थान के पेज पर दिए गए मंत्रों मैं अगर किसी को कोई शंका होती है तो कोई भी अभ्यास करके एक बार जरूर आजमाएं प्रत्यक्ष प्रमाण सामने नजर आएगा !

राम,लखन और भरत शत्रुघ्नबीच में जानकी माई हैंमारुति नन्दन संग बिराजेनिरख रहे रघुराई हैं।बरसों बाद अयोध्या मेंइक खुशी अनौख...
08/01/2024

राम,लखन और भरत शत्रुघ्न
बीच में जानकी माई हैं
मारुति नन्दन संग बिराजे
निरख रहे रघुराई हैं।
बरसों बाद अयोध्या में
इक खुशी अनौखी छाई है
राम के आने पर सबने
यह नगरी खूब सजाई है।
हर्षित हैं सब,राम मिलन की
घड़ी निराली आई है।
मारुति नन्दन संग बिराजें
निरख रहे रघुराई हैं।

....  *🌹!! आज का भगवद चिन्तन !!🌹*      जिंदगी में मन लगाना है , तो        प्रभु में ही लगाना, अन्यथा    तुम अपूर्ण और अध...
06/01/2024

....
*🌹!! आज का भगवद चिन्तन !!🌹*

जिंदगी में मन लगाना है , तो
प्रभु में ही लगाना, अन्यथा
तुम अपूर्ण और अधूरे ही जियोगे.

परमात्मा के संग होने से
असंभव भी संभव हो जाता है.

अर्जुन अकेला था , तो उसे
युद्ध में खड़ा होना भी
मुश्किल लग रहा था,
❗ लेकिन ... ❗
जब श्रीकृष्ण के संग होने का
अहसास हुआ तो
पूरा मैदान जीत लिया.

संग होने का अर्थ ....
24 घंटे राम-राम रटना या केवल
मन्दिर में जाना नहीं है.
यह तो सारी दुनिया कर ही रही है.
कौन आनंद और पूर्णता को
उपलब्ध हुआ ?

भीतर हृदय में यह बैठ जाना, कि
श्री हरी ही मेरे अपने हैं ,
जो इस संसार के
प्रत्येक जीव में बसे हैं.

अर्जुन की तरह श्रीकृष्ण को
सारथी बना लो,
अपने आप मंजिल तक ले जाऐंगे.

*🌹।। ऊँ जय श्री हरी ।। 🌹*

[    *ज्ञान भंडार*एक बहुत ज्ञानी व्यक्ति था। वो अपनी पीठ पर ज्ञान का भंडार लाद कर चला करता था। सारी दुनिया उसकी जयकार कर...
03/01/2024

[
*ज्ञान भंडार*

एक बहुत ज्ञानी व्यक्ति था। वो अपनी पीठ पर ज्ञान का भंडार लाद कर चला करता था। सारी दुनिया उसकी जयकार करती थी। ज्ञानी अपने ज्ञान पर दंभ करता इतराता फिरता था। एक बार वो किसी पहाड़ी से गुजर रहा था, रास्ते में उसे भूख लग आई। उसने इधर-उधर देखा, कुछ दूरी पर नयासर गांव दिखा वहां एक बुढ़िया इमरती देवी पत्थरों के पीछे अपने लिए रोटी पका रही थी। ज्ञानी व्यक्ति उसके पास पहुंचा और उसने उससे अनुरोध किया कि क्या वो उसे भी एक रोटी खिला सकती है?
बुढ़िया ने कहा, “ज़रूर।”
आदमी ने कहा कि लेकिन उसके पास देने को कुछ नहीं है, हां ज्ञान है और वो चाहे तो उसे थोड़ा ज्ञान वो दे सकता है। बुढ़िया ने कहा कि ठीक है। तुम रोटी खा लो और मुझे मेरे एक सवाल का जवाब दे दो।
आदमी ने रोटी खाने के बाद बुढ़िया से कहा कि पूछो अपना सवाल। बुढ़िया ने पूछा, “तुमने अभी-अभी जो रोटी खाई है, उसे तुमने अतीत के मन से खाई है, वर्तमान के मन से खाई है या फिर भविष्य के मन से खाई है?”
आदमी अटक गया। उसने अपनी पीठ से ज्ञान की बोरी उतारी और उसमें बुढ़िया के सवाल का जवाब तलाशने लगा। हज़ारों पन्ने पलटने के बाद भी उसे उसके सवाल का जवाब नहीं मिला।
बहुत देर हो चुकी थी। बुढ़िया को लौटना था। आखिर में उसने उस ज्ञानी से कहा कि "तुम रहने दो। इस सवाल का जवाब इतना भी कठिन नहीं था। ज़िंदगी में हर सवाल के जवाब कठिन नहीं होते। इसका तो बहुत सीधा सा जवाब था कि आदमी रोटी मुंह से खाता है, न कि अतीत, वर्तमान या भविष्य के मन से। वो तो तुम ज्ञानी थे, बड़े आदमी थे, तुमने अपने ज्ञान के बूते खुद को दुरूह बना लिया है, इसलिए हर सवाल के जवाब तुम पीठ पर लदे ज्ञान के बोझ में तलाशते हो, वर्ना ज़िंदगी को सहज रूप में जीने के लिए तो सहज ज्ञान की ही दरकार होती है।

सहजता से बढ़ कर जीवन को जीने का कोई दूसरा मूलमंत्र नहीं है। जो आदमी सहज होता है नवनीत, वो संतोषी होता है। जीवन के सफर को सुखमय बनाने का यह सबसे आसान फॉर्मूला है। जो चीज जैसी है, उसे उसी तरह स्वीकार करने की कोशिश करनी चाहिए।

*💐💐शिक्षा💐💐*

लोग भले कहें कि जो हम पाएंगे, वही देंगे लेकिन आप इसकी जगह यह सोचना कि जो आप दोगे, वही पाओगे। जीवन में हर सवाल का जवाब ज्ञान की पीठ पर सवार नही होता है।

*वास्तविक मूल्य*

बहुत समय पहले की बात है। उपरमालिया गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे। बूढ़ा वस्तुओं के उपयोग के मामले में कंजूस था और उन्हें बचा-बचा कर उपयोग किया करता था।

उसके पास एक पुराना चांदी का पात्र था। वह उसकी सबसे मूल्यवान वस्तु थी। उसने उसे संभालकर संदूक में बंद कर रखता था। उसने सोच रखा था कि सही अवसर आने पर ही उसका उपयोग करेगा।

एक दिन उसके यहाँ एक संत आये। जब उन्हें भोजन परोसा जाने लगा, तो एक क्षण को बूढ़े व्यक्ति के मन में विचार आया कि क्यों न संत को चांदी के पात्र में भोजन परोसूं? किंतु अगले ही क्षण उसने सोचा कि मेरा चांदी का पात्र बहुत कीमती है। गाँव-गाँव भटकने वाले इस संत के लिए उसे क्या निकालना? जब कोई राजसी व्यक्ति मेरे घर पधारेगा, तब यह पात्र निकालूंगा। यह सोचकर उसने पात्र नहीं निकाला।

कुछ दिनों बाद उसके घर राजा का मंत्री भोजन करने आया। उस समय भी बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि चांदी का पात्र निकाल लूं। किंतु फिर उसे लगा कि ये तो राजा का मंत्री है। जब राजा स्वयं मेरे घर भोजन करने पधारेंगे, तब अपना कीमती पात्र निकालूंगा।

कुछ दिनों के बाद स्वयं राजा उसके घर भोजन के लिए पधारे। राजा उसी समय पड़ोसी राज्य से युद्ध हार गए थे और उनके राज्य के कुछ हिस्से पर पड़ोसी राजा ने कब्जा कर लिया था। भोजन परोसते समय बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि अभी-अभी हुई पराजय से राजा का गौरव कम हो गया है। मेरे पात्र में किसी गौरवशाली व्यक्ति को ही भोजन करना चाहिए। इसलिए उसने चांदी का पात्र नहीं निकाला।

इस तरह उसका पात्र बिना उपयोग के पड़ा रहा। एक दिन बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई।

उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे ने उसका संदूक खोला। उसमें उसे काला पड़ चुका चांदी का पात्र मिला। उसने वह पात्र अपनी पत्नी को दिखाया और पूछा, “इसका क्या करें?”

पत्नी ने काले पड़ चुके पात्र को देखा और मुँह बनाते हुए बोली, “अरे इसका क्या करना है। कितना गंदा पात्र है। इसे कुत्ते को भोजन देने के लिए निकाल लो।”

उस दिन के बाद से घर का पालतू कुत्ता उस चांदी के पात्र में भोजन करने लगा। जिस पात्र को बूढ़े व्यक्ति ने जीवन भर किसी विशेष व्यक्ति के लिए संभालकर रखा, अंततः उसकी ये गत हुई।

*💐💐शिक्षा💐💐*

किसी वस्तु का मूल्य तभी है, जब वह उपयोग में लाई जा सके। बिना उपयोग के बेकार पड़ी कीमती वस्तुओं का भी कोई मूल्य नहीं। इसलिए यदि आपके पास कोई वस्तु है, तो यथा समय उसका उपयोग कर लें।

*!! मूर्ख पड़ोसी !*प्राचीन भारत में, एक बहुत ही दयालु व्यापारी रहता था। वह निर्धन लोगों को पैसे दान करता था और अपने दोस्त...
03/01/2024

*!! मूर्ख पड़ोसी !*

प्राचीन भारत में, एक बहुत ही दयालु व्यापारी रहता था। वह निर्धन लोगों को पैसे दान करता था और अपने दोस्तों की हमेशा मदद करता था। उस व्यापारी ने एक दिन अपना सारा पैसा और पैसे के साथ अपनी ख्याति भी खो दी। उसके दोस्त उसे अनदेखा करने लगे। इन सबसे तंग आकर एक रात उसने सोचा, “मैंने सब कुछ खो दिया, कोई मेरे साथ नहीं है। मुझे मर जाना चाहिए।”

यह सोचते सोचते उसे गहरी नींद आ गई। सोते हुए उसने एक सपना देखा। सपने में एक भिक्षु ने उससे कहा, “कल मैं तुम्हारे द्वार पर आऊंगा। तुम्हें मेरे सिर पर लाठी से चोट करनी होगी। मैं सोने की मूर्ति में बदल जाऊंगा।” लगभग सुबह हो चुकी थी। व्यापारी जागा और सपने के बारे में सोचने लगा।

फिर कुछ समय बाद, एक भिक्षु ने घर के दरवाजे पर दस्तक दी। व्यापारी ने भिक्षु को अंदर बुलाया। व्यापारी ने भिक्षु के सिर पर लाठी से वार किया और भिक्षु तुरंत ही सोने की मूर्ति में बदल गया। पास से ही एक पड़ोसी जा रहा था उसने यह सब देख लिया।

लालची पड़ोसी ने व्यापारी की नकल करने का फैसला लिया। अगले दिन पड़ोसी एक आश्रम में गया और कुछ भिक्षुओं से एक कठिन पुस्तक को समझाने के लिए अपने घर पर आने का आग्रह किया। भिक्षुओं ने उसका आग्रह स्वीकार कर लिया।

अगले दिन कई भिक्षु उस पड़ोसी के घर आए। उसने अपने घर का द्वार बंद कर दिया और भिक्षुओं के सिर पर लाठी से प्रहार करना शुरू कर दिया। जब एक भी भिक्षु सोने की मूर्ति में नहीं बदला तो पड़ोसी निराश हो गया।

पड़ोसी को भिक्षुओं पर हमला करने के अपराध में बंदी बना लिया गया। पड़ोसी ने अपने कृत्य के लिए व्यापारी को दोषी ठहराया। राजा ने व्यापारी को राजदरबार में बुलाया। व्यापारी ने राजा को अपने सपने के बारे में सब कुछ बता दिया। उसने कहा, “महाराजा, मैंने पड़ोसी से भिक्षुओं पर हमला करने के लिए नहीं कहा। पड़ोसी को यह मूर्खता करने से पहले इसके दुष्परिणामों के बारे में सोचना चाहिए था।”

राजा व्यापारी की बात से सहमत था अत‌‌: उसने व्यापारी को मुक्त कर दिया और सैनिकों से मूर्ख पड़ोसी को कारागार में डालने का आदेश दिया।

*शिक्षा:-*
मित्रों! बिना सोचे समझे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।

*वास्तविक मूल्य* बहुत समय पहले की बात है। उपरमालिया गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे। बूढ़ा वस्तुओं के...
03/01/2024

*वास्तविक मूल्य*

बहुत समय पहले की बात है। उपरमालिया गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे। बूढ़ा वस्तुओं के उपयोग के मामले में कंजूस था और उन्हें बचा-बचा कर उपयोग किया करता था।

उसके पास एक पुराना चांदी का पात्र था। वह उसकी सबसे मूल्यवान वस्तु थी। उसने उसे संभालकर संदूक में बंद कर रखता था। उसने सोच रखा था कि सही अवसर आने पर ही उसका उपयोग करेगा।

एक दिन उसके यहाँ एक संत आये। जब उन्हें भोजन परोसा जाने लगा, तो एक क्षण को बूढ़े व्यक्ति के मन में विचार आया कि क्यों न संत को चांदी के पात्र में भोजन परोसूं? किंतु अगले ही क्षण उसने सोचा कि मेरा चांदी का पात्र बहुत कीमती है। गाँव-गाँव भटकने वाले इस संत के लिए उसे क्या निकालना? जब कोई राजसी व्यक्ति मेरे घर पधारेगा, तब यह पात्र निकालूंगा। यह सोचकर उसने पात्र नहीं निकाला।

कुछ दिनों बाद उसके घर राजा का मंत्री भोजन करने आया। उस समय भी बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि चांदी का पात्र निकाल लूं। किंतु फिर उसे लगा कि ये तो राजा का मंत्री है। जब राजा स्वयं मेरे घर भोजन करने पधारेंगे, तब अपना कीमती पात्र निकालूंगा।

कुछ दिनों के बाद स्वयं राजा उसके घर भोजन के लिए पधारे। राजा उसी समय पड़ोसी राज्य से युद्ध हार गए थे और उनके राज्य के कुछ हिस्से पर पड़ोसी राजा ने कब्जा कर लिया था। भोजन परोसते समय बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि अभी-अभी हुई पराजय से राजा का गौरव कम हो गया है। मेरे पात्र में किसी गौरवशाली व्यक्ति को ही भोजन करना चाहिए। इसलिए उसने चांदी का पात्र नहीं निकाला।

इस तरह उसका पात्र बिना उपयोग के पड़ा रहा। एक दिन बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई।

उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे ने उसका संदूक खोला। उसमें उसे काला पड़ चुका चांदी का पात्र मिला। उसने वह पात्र अपनी पत्नी को दिखाया और पूछा, “इसका क्या करें?”

पत्नी ने काले पड़ चुके पात्र को देखा और मुँह बनाते हुए बोली, “अरे इसका क्या करना है। कितना गंदा पात्र है। इसे कुत्ते को भोजन देने के लिए निकाल लो।”

उस दिन के बाद से घर का पालतू कुत्ता उस चांदी के पात्र में भोजन करने लगा। जिस पात्र को बूढ़े व्यक्ति ने जीवन भर किसी विशेष व्यक्ति के लिए संभालकर रखा, अंततः उसकी ये गत हुई।

*💐💐शिक्षा💐💐*

किसी वस्तु का मूल्य तभी है, जब वह उपयोग में लाई जा सके। बिना उपयोग के बेकार पड़ी कीमती वस्तुओं का भी कोई मूल्य नहीं। इसलिए यदि आपके पास कोई वस्तु है, तो यथा समय उसका उपयोग कर लें।

*!! बाज की सीख !!*एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए गया। बहुत प्रयास करने के बाद उसने जाल में एक बाज पकड़ लिया।...
31/12/2023

*!! बाज की सीख !!*

एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए गया। बहुत प्रयास करने के बाद उसने जाल में एक बाज पकड़ लिया। शिकारी जब बाज को लेकर जाने लगा तब रास्ते में बाज ने शिकारी से कहा, “तुम मुझे लेकर क्यों जा रहे हो?”

शिकारी बोला, “मैं तुम्हें मारकर खाने के लिए ले जा रहा हूँ।” बाज ने सोचा कि अब तो मेरी मृत्यु निश्चित है। वह कुछ देर यूँ ही शांत रहा और फिर कुछ सोचकर बोला, “देखो, मुझे जितना जीवन जीना था मैंने जी लिया और अब मेरा मरना निश्चित है, लेकिन मरने से पहले मेरी एक आखिरी इच्छा है।” “बताओ अपनी इच्छा?”, शिकारी ने उत्सुकता से पूछा।

बाज ने बताना शुरू किया- मरने से पहले मैं तुम्हें दो सीख देना चाहता हूँ, इसे तुम ध्यान से सुनना और सदा याद रखना। पहली सीख तो यह कि किसी कि बातों का बिना प्रमाण, बिना सोचे-समझे विश्वास मत करना। और दूसरी ये कि यदि तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो या तुम्हारे हाथ से कुछ छूट जाए तो उसके लिए कभी दुःखी मत होना।

शिकारी ने बाज की बात सुनी और अपने रस्ते आगे बढ़ने लगा। कुछ समय बाद बाज ने शिकारी से कहा- “शिकारी, एक बात बताओ…अगर मैं तुम्हें कुछ ऐसा दे दूँ जिससे तुम रातों-रात अमीर बन जाओ तो क्या तुम मुझे आज़ाद कर दोगे?”

शिकारी फ़ौरन रुका और बोला, “क्या है वो चीज, जल्दी बताओ?” बाज बोला, “दरअसल, बहुत पहले मुझे राजमहल के करीब एक हीरा मिला था, जिसे उठा कर मैंने एक गुप्त स्थान पर रख दिया था। अगर आज मैं मर जाऊँगा तो वो हीरा ऐसे ही बेकार चला जाएगा, इसलिए मैंने सोचा कि अगर तुम उसके बदले मुझे छोड़ दो तो मेरी जान भी बच जायेगी और तुम्हारी गरीबी भी हमेशा के लिए मिट जायेगी।” यह सुनते ही शिकारी ने बिना कुछ सोचे समझे बाज को आजाद कर दिया और वो हीरा लाने को कहा।

बाज तुरंत उड़ कर पेड़ की एक ऊँची शाखा पर जा बैठा और बोला, “कुछ देर पहले ही मैंने तुम्हें एक सीख दी थी कि किसी के भी बातों का तुरंत विश्वास मत करना लेकिन तुमने उस सीख का पालन नहीं किया। दरअसल, मेरे पास कोई हीरा नहीं है और अब मैं आज़ाद हूँ।

यह सुनते ही शिकारी मायूस हो पछताने लगा… तभी बाज फिर बोला, तुम मेरी दूसरी सीख भूल गए कि अगर कुछ तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो तो उसके लिए तुम कभी पछतावा मत करना।

*शिक्षा:-*
हमें किसी अनजान व्यक्ति पर आसानी से विश्वास नहीं करना चाहिए और किसी प्रकार का नुकसान होने या असफलता मिलने पर दुःखी नहीं होना चाहिए, बल्कि उस बात से सीख लेकर भविष्य में सतर्क रहना चाहिए।

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