11/09/2023
#पिशाचमोचन_विमल_तीर्थ का महत्व
#महादेव_की_नगरी_का_ऐसा_कुंड_जहां_भटकती_आत्माओं_को_मिलती_मुक्ति
#पिशाचमोचन में ही मिलती है पितरों के प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु के बाद व्याधियों से मुक्ति.......
#वाराणसी. #काशी_नगरी मोक्ष की नगरी कही जाती है। ऐसा माना जाता है कि यहां प्राण त्यागने वाले मनुष्यों को भगवान शंकर स्वयं मोक्ष प्रदान करते हैं, मगर जो लोग काशी से बाहर या काशी में अकाल मौत के शिकार होते हैं, उनके मोक्ष के लिए यहां के पिशाच मोचन कुण्ड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है।
#त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए पिशाचमोचन घाट पर लोगों का ताता लग जाता है। काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुण्ड पर होने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध के साथ ये मान्यता जुड़ी है कि पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिये पितृ पक्ष के दिनों पिशाच मोचन कुंड पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है।
सिर्फ काशी में होती है त्रिपिंडि श्राद्ध!
#काशी पूरे विश्व में घाटों और तीर्थों के लिए जाना जाता है। 12 महीने चैत्र से फाल्गुन तक 15-15 दिन का शुक्ल और कृष्ण पक्ष का होता है लेकिन पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष से शुरू होता है। इन 15 दिनों को पितरों की मुक्ति का दिन माना जाता है और इन 15 दिनों के अन्दर देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर श्राद्ध और तर्पण का कार्य होता है। देश भर में सिर्फ काशी के ही अति प्राचीन पिशाचमोचन कुण्ड पर यह त्रिपिंडी श्राद्ध होता है जो पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति दिलाता है। इस श्राद्ध कार्य में इस विमल तीर्थ पर वेदोक्त कर्मकांड विधि से तीन मिटटी के कलश की स्थापना की जाती है। जो काले, लाल और सफेद झंडों से प्रतिकमान होते हैं। प्रेत बाधाएं तीन तरह की मानी जाती हैं। सात्विक, राजस, और तामस। इन तीनों बाधाओं से पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए काले, लाल और सफेद झंडे लगाये जाते हैं। जिसको कि भगवन शंकर, ब्रह्मा, और विष्णु के प्रतीक के रूप में मानकर तर्पण और श्राद्ध का कार्य किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पिशाच मोचन पर श्राद्ध करवाने से अकाल मृत्यु से मरने वाले पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। पिशाच मोचन तीर्थ स्थली का वर्णन गरुण पुराण में भी वर्णित है।
#भोलेशंकर की नगरी काशी में वैसे तो मणिकर्णिका घाट को मुक्ति की स्थली कहा जाता है लेकिन अपने पितरों की मुक्ति की कामना से पिशाच मोचन कुण्ड पर श्राद्ध और तर्पण करने के लिए लोगों की भीड़ पितृ पक्ष के महीने में यहां जुटती है। मान्यता है कि जिन पूर्वजों की मृत्य अकाल हुई है वो प्रेत योनि में जाते हैं और उनकी आत्मा भटकती है। उन्हीं की शांति और मोक्ष के लिये यहां तर्पण का कार्य किया जाता है। यहां पिंड दान और तर्पण करने के लिए दूर दृ दूर से लोग आते हैं। यहां पिंड दान करने के बाद ही लोग गया जाते हैं। धार्मिक स्थली पिशाच मोचन के साथ ये मान्यता जुडी हुई है कि यहां का तर्पण का कर्मकांड करने के बाद ही गया में पिंड दान किया जाता है, ताकि पितरों के लिये स्वर्ग का द्वार निस्संदेह खुला रहें।
जय~ जय
जय श्री कृष्ण
9889943110